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शरद पूर्णिमा के मौके पर पूजी गई महालक्ष्मी

पूर्णिया। शरद पूर्णिमा पर महाराजगंज 01 तथा अभयराम चकला पंचायत की सीमा पर स्थित जोक मध्य विद्याल

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Oct 2019 11:46 PM (IST)Updated: Sun, 13 Oct 2019 11:46 PM (IST)
शरद पूर्णिमा के मौके पर पूजी गई महालक्ष्मी
शरद पूर्णिमा के मौके पर पूजी गई महालक्ष्मी

पूर्णिया। शरद पूर्णिमा पर महाराजगंज 01 तथा अभयराम चकला पंचायत की सीमा पर स्थित जोक मध्य विद्यालय गंगापुर के परिसर में वैदिक रीति रिवाज से रविवार की रात महालक्ष्मी पूजनोत्सव संपन्न हुआ। इसके साथ ही पूजा व मेला समिति के सदस्यों ने यहा आज से शुरू होनेवाले दो दिवसीय मेला की तैयारी शुरू कर दी है। विगत 26 वषरें से यहा शरद पूर्णिमा के अवसर पर लक्ष्मी पूजा व मेला का आयोजन किया जा रहा है। आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. धर्मनाथ सिंह, चंदेश्वर सिंह, मिथिलेश सिंह, श्रीरामदेव उराव, मवेशी पासवान एवं अन्य सदस्यों ने बताया कि 14 एवं 15 को यहा मेला का आयोजन किया जा रहा है। इस मौके पर सास्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन होगा। मंदिर में स्थापित महालक्ष्मी सहित अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को आकर्षक ढंग से सजाया गया है। आयोजन को लेकर स्थानीय ग्रामवासियों में काफी उत्साह देखा जा रहा है। पूजा अर्चना के लिए विभिन्न गावों से श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला जारी है। पूजा व मेले की सफलता को लेकर डब्लू पासवान, राजो मंडल, ज्ञानी सिंह, छट्ठु चौधरी, संजीव सिंह, सहित स्थानीय ग्रामीण तत्पर हैं।

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रात में ओस की बूंदों के रूप में होती है अमृत की वर्षा

क्षेत्रवासियों ने शरद पूर्णिमा की रात में दूध से बने भोजन तथा खीर, फल आदि को रात आगन, छत या फिर खुले आकाश के नीचे रखा। मान्यता है कि इस दिन मध्य रात्रि को ओस की बूंद के रूप में अमृत की वर्षा होती है। वयोवृद्ध पं.सच्चिदानंद पाण्डेय एवं ज्योतिषाचार्य पं. मुन्ना पाण्डेय बताते हैं कि शरद पूर्णिमा की चादनी रात में अमृत की वर्षा होती है। धार्मिक, वैज्ञानिक एवं स्वास्थ्य की दृष्टि से यह बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। पंडितों की मानें तो इस रात चाद पूरी 16 कलाओं के साथ दिखाई देता है। पुरानी मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा का बहुत अधिक महत्व है। जानकारी बताते हैं कि इस दिन से शीत ऋतु का प्रभाव शुरू हो जाता है। आयुर्वेद में शरद पूर्णिमा को औषधीय गुणों वाली रात माना गया है। इस रात में ग्रहण की गई औषधि बहुत जल्दी लाभ पहुंचाती है। इस पूर्णिमा की रात खीर के सेवन करने का मूल भाव यही है कि अब ठंड शुरू हो रही है तो गर्मी प्रदान करनेवाली चीज़ों का सेवन करना चाहिए। बुजुर्गो से मिली जानकारी अनुसार जिस प्रकार सूर्य की रोशनी हमारे स्वास्थ्य पर चमत्कारी प्रभाव डालते हैं उसी प्रकार चंद्रमा की किरणें भी हमें लाभ पहुंचाती है, इसीलिए इस रात को कुछ देर लोग बाहर बैठते हैं।


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