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चबूतरे को पाठशाला बनाकर शिक्षा की अलख जला रहीं है अर्चना

पूर्णिया पूर्व (पूर्णिया) प्रखंड की चादी पंचायत अंतर्गत रानीपतरा गुमटी अनुसूचित जाति टोला में र

By JagranEdited By: Published: Fri, 04 Oct 2019 06:33 PM (IST)Updated: Fri, 04 Oct 2019 06:33 PM (IST)
चबूतरे को पाठशाला बनाकर शिक्षा की अलख जला रहीं है अर्चना

पूर्णिया पूर्व (पूर्णिया) : प्रखंड की चादी पंचायत अंतर्गत रानीपतरा गुमटी अनुसूचित जाति टोला में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक अर्चना देव ने चबूतरे को गरीबों का स्कूल बना दिया है और जहा बच्चों को शिक्षादान देकर महादान दे रही है। पढ़ाने में अपना पेंशन तक बच्चों पर खर्च कर देती हैं और दिन रात यह सोचती रहती है कि किस प्रकार से ये गरीब बच्चे पढ़-लिखकर आगे बढ़े। उनके इस निशुल्क विद्यालय में आज लगभग डेढ़ सौ अनुसूचित जाति के छात्र व छात्राएं अध्ययनरत हैं। 31 अक्टूबर, 2015 को सेवानिवृत्त होने के बाद से ही अर्चना देव इन अनुसूचित जाति के बच्चों के लिए समर्पित हो चुकी हैं और वो अपना सारा समय इन्हीं गरीब बच्चों के बीच शिक्षा दान करने में गुजार देती हैं। परंतु खुले आसमान के नीचे एक चबूतरे में चल रहे डेढ़ सौ से अधिक छात्रों के इस निशुल्क विद्यालय को चलाने में मात्र इनके पेंशन से कुछ भी नहीं हो पाता है। फिर भी यहा के बच्चे जिले में आयोजित प्रतियोगिता में अपना लोहा मनवा चुकी हैं। इसमें अध्ययनरत कुछ छात्र तो फर्राटेदार अंग्रेजी भी बोलते हैं। अर्चना देव हमेशा बच्चों की भलाई के लिए कुछ न कुछ करती रहती हैं। यहा तक कि बच्चे को पढ़ाने के बाद सरकारी स्कूल भी भेजती हैं और जो बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं उनके घर पर जाकर उनके अभिभावकों को प्रेरित कर स्कूल भेजने का काम करती हैं। उनके विद्यालय चलाने का समय भी सरकारी स्कूल के अनुसार ही होता है। अगर सरकारी स्कूल दिन का हो तो वो सुबह छह बजे से तथा अगर प्रात: कालीन हो तो शाम चार बजे से अपना स्कूल चलाती हैं। ताकि बच्चे का स्कूल निरंतर जारी रहे और उनलोगों को सारी सरकारी सुविधाएं मिलती रहे यही उनकी सोच है। उनके इस निशुल्क विद्यालय में कई लोग व निजी संस्था आगे बढ़कर बच्चों को मदद स्वरूप पाठ्य सामग्री का भी वितरण कर चुकी हैं। जिससे शिक्षिका अर्चना देव का हौसला और भी बुलंद हो जाता है।

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