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भक्तिपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ चोरा व्रत

पूर्णिया। प्रखंड के रानीपतरा स्थित रजीगंज में शुक्रवार को तीन दिनों का पर्व चोरा व्रत भक्तिपूर्ण

By JagranEdited By: Published: Fri, 09 Nov 2018 10:34 PM (IST)Updated: Fri, 09 Nov 2018 10:34 PM (IST)
भक्तिपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ चोरा व्रत
भक्तिपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ चोरा व्रत

पूर्णिया। प्रखंड के रानीपतरा स्थित रजीगंज में शुक्रवार को तीन दिनों का पर्व चोरा व्रत भक्तिपूर्ण माहौल में संपन्न हो गया। यह पर्व प्रखंड अंतर्गत रजीगंज निवासी मदन लाल साह, रविंद्र साह और पप्पू साह सहित कई परिवारों में मनाया जा रहा है। इस व्रत में भगवान सूर्य देव की उपासना की जाती है और यह पर्व दीपावली के एक दिन बाद से मनाया जाता है। महिलाएं अपने परिवार में किसी सदस्य के कठिन बीमारियों या अन्य कष्ट के निवारण हेतु मनौती मनाती है, मनौती जब पूर्ण हो जाती है तब यह पर्व करते हैं। इस व्रत को करने की परंपरा भी काफी निराली है। व्रत करने के लिए यहा के लोग वर्ष भर पहले से तैयारी में जुट जाते हैं। इस व्रत की शुरुआत दीपावली की अर्धरात्रि खरना से होती है। व्रती मिट्टी के हांडी में एवं मिट्टी का चूल्हा में दूध और चावल से भोजन तैयार कर सेवन करते हैं। अगले दिन अल सुबह परिवार के सभी व्रतधारी का मुंडन कर नया वस्त्र पहनाया जाता है इसके बाद सर पर पटवा का रेशा को पीला रंग में रंग कर जटा सदृश बाधा जाता है। शरीर में पाट की चट्टी जो पीले रंग में रंगी होती है, पहनाया जाता है व हाथ में छुरी जिसके नोक पर सुपारी गुथा रहता है। व्रती के साथ मामा भी होता है जिसके हाथ में बड़ा सा तलवार एवं चोरी के सामान को रखने हेतु एक कपड़े का थैला रहता है। यह चोर भाजे की सुरक्षा में रहता है जिसे चोर मामा कहा जाता है। वस्त्र धारण एवं सूर्य पूजा वह नमस्कार के साथ यह चोर साथ में चोरों के मामा कीर्तन मंडली के साथ अपने इष्ट मित्रों स्वजनों के घर जाकर चोरी करते हैं एवं भिक्षा मागते हैं। जब यह चोर किसी सगे-संबंधी के घर घुसते हैं तब उस घर की महिला सदस्य द्वारा चोर का बाल काटा जाता है। एक थाली चावल व कुछ रुपये उसके मामा को दिया जाता है। इसी तरह इस व्रत का कार्यक्रम पूरे दिन तक चलता रहता है और रात्रि के समय भगवान सत्यनारायण की पूजा अर्चना की जाती है और फिर सुबह नदी या पोखर में व्रत संपन्न होता है।

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