दो जलमीनार, नहीं हो सका शुद्ध पेयजल का दीदार
पूर्णिया। ना रख उम्मीद-ए-वफ़ा किसी परिंदे से जब पर निकल आते हैं तो अपने भी आशियाना भूल जाते
पूर्णिया। ना रख उम्मीद-ए-वफ़ा किसी परिंदे से, जब पर निकल आते हैं तो अपने भी आशियाना भूल जाते हैं। यह लाइन धमदाहा अनुमंडल मुख्यालय स्थित करोड़ों की लागत से बने दोनों जलमीनार पर सटीक बैठती हैं। इसे पीएचईडी और जनप्रतिनिधियों ने बनने के बाद भुला दिया।
पीएचईडी मंत्री द्वारा 1 वर्ष पूर्व शुद्ध पेयजल मुहैया कराने की घोषणा के बावजूद अबतक लोगों को दोनों जलमीनारों से एक बूंद भी शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो पाया है। लोग कहते हैं कि इसे चालू करने के नाम पर कई नेताओं ने अपनी सियासत जरूर चमकाई। जलमीनार की बदहाली इस बार चुनावी मुद्दा बनेगी।
विनय सिंह ने बताया कि अनुमंडल मुख्यालय में दो विशाल जलमीनार हैं एक 1975 में और दूसरी 2009-10 में बनकर तैयार हुई। पीएचईडी मंत्री ने एक वर्ष पूर्व ही इसकी बदहाली दूर करने का दावा भी किया था, लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि इन दोनों जलमीनारो से लोगों को आजतक एक भी बूंद पानी नसीब नहीं हुआ।
दीपक ठाकुर का कहना है कि एक जलमीनार का निर्माण 1975 में प्रखंड कार्यालय के ठीक पीछे स्थित पीएचईडी कार्यालय के सामने हुआ था, लेकिन पंप जलमीनार से आधा किमी दूर थाने के पास स्थापित किया गया। पंप से जलमीनार तक पानी पहुंचाने के लिए लोहे के बदले प्लास्टिक की पाइप का इस्तेमाल किया गया। जैसे ही मोटर का स्विच ऑन किया गया प्लास्टिक की पाइप कई जगह पर फट गयी। उसके बाद से इस जलमीनार में आजतक पानी नहीं पहुंच पाया। इसके बाद इसमे पानी पहुंचाने के नाम पर राशि की बंदरबांट होती रही।
नवीन सिंह का कहना है कि पिछले वर्ष 25 फरवरी को बिहार सरकार के पीएचईडी मंत्री विनोद नारायण झा धमदाहा आए थे। उस दौरान उन्होंने कहा था कि कि बहुत जल्द सप्लाई शुरू होगी, लेकिन नहीं हुई। 2013 में फिर से इस जलमीनार के नीचे बोरिंग कर नया पंप लगाया गया इसके बाद भी लोगों को शुद्ध पानी नहीं मिला।
मो. जुबेर का कहना है कि पीएचईडी द्वारा नेहरु चौक पर बनायी गई दूसरी जलमीनार की कहानी भी इससे अलग नहीं है। यह जलमीनार भी करीब 06 वर्ष पूर्व बनकर तैयार हुई, पानी जलमीनार तक तो पहुंचा, लेकिन लोगों को पानी नहीं मिला।