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पूर्ण अरण्य की धरा एक बार फिर से होगी हरी-भरी

पूर्णिया। पूर्ण अरण्य की धरा एक बार फिर से हरी-भरी होगी। वनों की अधिकता के कारण कभी यह जिला शिकारियों का स्वर्ग माना जाता था, वन्य प्राणियों सहित पक्षियों का यहां बसेरा था। हरियाली आच्छादित होने से यह इलाका बारिश के लिए भी मशहूर था। वनों के सिमट जाने के कारण वन्य प्राणी तो गायब हो ही गए बारिश ने भी मुंह मोड़ लिया है। हालात यह है सिमट गए वन क्षेत्र से पूर्ण अरण्य नाम की सार्थकता पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। इसका जवाब देने के लिए दैनिक जागरण ने पौधे लगाएं-वृक्ष बचाएं अभियान की शुरुआत की है। इससे आने वाले दिनों में एक बार फिर से हरियाली छाएगी।

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Jul 2018 09:49 PM (IST)Updated: Fri, 20 Jul 2018 09:49 PM (IST)
पूर्ण अरण्य की धरा एक बार फिर से होगी हरी-भरी
पूर्ण अरण्य की धरा एक बार फिर से होगी हरी-भरी

पूर्णिया। पूर्ण अरण्य की धरा एक बार फिर से हरी-भरी होगी। वनों की अधिकता के कारण कभी यह जिला शिकारियों का स्वर्ग माना जाता था, वन्य प्राणियों सहित पक्षियों का यहां बसेरा था। हरियाली आच्छादित होने से यह इलाका बारिश के लिए भी मशहूर था। वनों के सिमट जाने के कारण वन्य प्राणी तो गायब हो ही गए बारिश ने भी मुंह मोड़ लिया है। हालात यह है सिमट गए वन क्षेत्र से पूर्ण अरण्य नाम की सार्थकता पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। इसका जवाब देने के लिए दैनिक जागरण ने पौधे लगाएं-वृक्ष बचाएं अभियान की शुरुआत की है। इससे आने वाले दिनों में एक बार फिर से हरियाली छाएगी।

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जंगलों के कारण कभी यह इलाका था शिकारियों का स्वर्ग

कभी यह इलाका जंगलों वाला होने के कारण पूर्ण अरण्य कहलाता था। जंगलों के कारण प्रसिद्ध शिकारी मिस्टर जे इंग्लिश माओरि ने इसे शिकारियों का स्वर्ग बताया। यहां साल, सखुआ, सागवान, शीशम, पलास, पीपल, सेमल के घने जंगल थे। पूर्णिया ए शिकारीलैंड शिकार इन हिल्स एंड जंगल में भी इस बात की चर्चा है। डॉ. बुकानन और डॉ. जार्डन ने अपनी किताबों में यहां 92 प्रजाति के विदेशी पक्षियों के पाए जाने का जिक्र किया है। अनुसंधान पत्र में जंगली कोयल, स्काईलार्क, बुशलार्क, ¨फटलार्क, करमोरंट, इगरिट, सारस, जाफोना, ¨कगफिशर, सुरखाव आदि के होने का जिक्र है। यहां के वनों में चीते, बंगाल टाइगर, भेड़िए, जंगली सूअर, चीतल निर्भिक विचरण करते थे। कहा जाता है कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहां के जंगलों में काफी दिन बिताए थे लेकिन वर्तमान में स्थिति यह है कि यहां एकमात्र ¨सघिया जंगल बचा है। जंगलों की छोड़ दें तो सड़कों के किनारे लोग छाया के लिए तरस गए हैं। सड़कों का विस्तार हो रहा है और किनारे के पेड़ कट गए हैं। कभी अधिक बारिश होने वाले इस इलाके में आज लोग धान का बिचड़ा गिराने के लिए बारिश का इंतजार कर रहे हैं। मौसम विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस महीने तक बारिश कम हुई है।

लोग हाथों-हाथ ले रहे दैनिक जागरण के अभियान को

इन तमाम बातों के मद्देनजर जब दैनिक जागरण ने पौधे लगाएं-वृक्ष बचाएं अभियान की शुरुआत की है। पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से इस अभियान को लोग हाथों-हाथ ले रहे हैं। जिलाधिकारी प्रदीप कुमार झा ने इस अभियान की शुरुआत सागवान और महोगनी का पौधा लगाकर की। इसके बाद अधिकारी, शिक्षक, स्कूली बच्चे सहित आम लोग इस अभियान को सफल बनाने में जुटे हैं।


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