पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती होने से कतराते हैं मरीज
फोटो12 पीआरएन:-35 संस, पूर्णिया पूर्व (पूर्णिया) : शिव शिष्य हरिन्द्रानंद फाउंडेशन के तत्वावधान में प्रखंड अंतर्गत रानीपतरा में शिव शिष्यों की बैठक हुई। बैठक में सैकड़ों गुरु भाई बहन उपस्थित हुए। बैठक को संबोधित करते हुए पूर्णिया के प्रक्षेत्रीय शिव कार्य संयोजक अशेष कुमार आशीष ने शिव गुरु कार्य को तेज करने एवं साहब श्री हरिन्द्रानंद जी के मार्गदर्शन पर चलने की अपील उपस्थित गुरु भाई-बहनों से की। कार्यक्रम का संचालन पूर्णिया जिला शिव कार्य प्रभारी अनिल कुमार ¨सह बनमनखी ने किया। पूर्णिया जिला शिव कार्य संयोजक अमीन पासवान ने भी गुरु कार्य के प्रति संवेदनशील होने को कहा। पूर्णिया जिला के क्षेत्रीय शिव कार्य संयोजिका आशा अनुरागिनी ने भी गुरु की दिशा में चलने को प्रेरित किया। कार्यक्रम में बनमनखी, जानकीनगर, पूर्णिया शहर, बहरखाल, कटिहार चंपानगर, रूपौली, गुलाबबाग आदि जगहों से गुरु भाई बहन बैठक में शामिल हुए।
पूर्णिया। सदर अस्पताल के बच्चा वार्ड के ऊपरी मंजिल पर एक साल से अधिक समय से संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र में मरीज भर्ती होने से कतरा रहे हैं। बेहतर व्यवस्था और प्रयास के बावजूद जागरूकता के अभाव में माता-पिता अपने कुपोषित बच्चे को भर्ती नहीं करना चाहते हैं। यूनिसेफ के सहयोग से इस वार्ड का संचालन किया जा रहा है। मंगलवार को बायसी से तीन कुपोषित बच्चे को जिला पदाधिकारी प्रदीप कुमार झा के आदेश पर भेजा गया, लेकिन एंबुलेंस से पहुंचाने के बाद भी बिना रजिस्ट्रेशन कराएं तीनों बच्चे को लेकर साथ आए अभिभावक चले गए। बोला कि बाद में आएंगे। यह आलम तब है जब जिला में आइसीडीएस, शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त प्रयास से पोषण माह में सघन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। अन्य वार्ड में जहां मरीजों के अधिक मरीज होने के कारण बेड नहीं मिल पाता है वहां इस केंद्र में भर्ती दर 50 फीसद से भी कम है। इस वार्ड का बराबर निरीक्षण करने जिला पदाधिकारी पहुंचते हैं और वार्ड में कुपोषित भर्ती करने के लिए विशेष आदेश भी दिया गया है। इसके लिए आइसीडीएस को भी जोड़ा गया है और सभी का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। मानक के मुताबिक कम से कम 70 फीसद बेड भर्ती दर होनी चाहिए। यूनिसेफ के पोषण सलाहकार विवेकानंद का कहना है यह काफी अचरज की बात है कि जब बच्चे के साथ मां तक के भर्ती करने और भोजन तक की व्यवस्था है तब भर्ती होने से क्यों कतराते हैं जबकि जिले में 38 फीसद से अधिक कुपोषित बच्चे हैं। यह आंकडे तो आइसीडीएस के हैं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक तो छह साल के कुपोषित बच्चों की संख्या काफी अधिक हैं। इसके लिए सभी प्रखंडों में विशेष जागरूकता अभियान भी चलाया गया था। इसके बावजूद अबतक खास असर नहीं दिख रहा है। अगर बच्चों की भर्ती स्थानीय मोबाइलाजर करवाते हैं वे एक-दो दिनों में चले जाते हैं। अभी वर्तमान में महज आठ बच्चे ही यहां पर भर्ती हैं। एक साल होने के बाद भी अबतक भर्ती हो कर ठीक होने वाले मरीज की संख्या पांच सौ तक नहीं पहुंच पाई है। डीएम द्वारा विशेष ध्यान देने के बाद अभी तक स्थिति में बदलाव नहीं हुआ है।