नगर निगम की बैठक बुलाने को ले मेयर व डिप्टी मेयर आमने-सामने
पूर्णिया। नगर निगम में अध्यपेक्षा बैठक बुलाने की डिप्टी मेयर की मांग पर मेयर ने पलटवार किया है। मे
पूर्णिया। नगर निगम में अध्यपेक्षा बैठक बुलाने की डिप्टी मेयर की मांग पर मेयर ने पलटवार किया है। मेयर सविता देवी ने कहा है कि पूर्व महापौर राजनीतिक साजिश के तहत उन्हें बदनाम करने का प्रयास कर रही हैं। कहा है कि पूर्व महापौर ने अपने दो वर्षो के कार्यकाल में मात्र छह बार बोर्ड की बैठ कर पाई। मेयर ने कहा है कि जिस वायदे के साथ वे मेयर बनी हैं वे उस पर हर स्थिति में खरा उतरने का प्रयास करेगी। इस तरह के विघ्न-बाधा से वे विचलित होने वाली नहीं है।
10 अगस्त को हुआ था नई मेयर का चुनाव
मेयर ने बताया कि उपमहापौर विभा कुमारी द्वारा अध्यपेक्षा की बैठक बुलाने का आवेदन आया है जबकि सच्चाई है कि पूर्व मेयर पर अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के बाद गत 10 अगस्त को नई मेयर का चुनाव हुआ। यानि 28 जुलाई से 24 अगस्त तक तकरीबन एक माह मेयर की कुर्सी खाली रही। उनके मेयर चुने जाने के बाद सशक्त स्थायी समिति का गठन कर गत 19 सितंबर को शपथ ग्रहण कराया गया। इसके ठीक 26 दिन के बाद उप महापौर पर अविश्वास प्रस्ताव पूर्व महापौर के द्वारा लाया गया जिसका चुनाव नवंबर को हुआ। इस बीच मुहर्रम, दुर्गा पूजा, काली पूजा, दीपावली और महापर्व छठ भी था। जिसमें नगर निगम के पदाधिकारी, कर्मी और सभी पार्षद पूजा को सफल बनाने में लगे रहे। इस बीच बोर्ड की बैठक के लिए समय निकालना थोड़ा कठिन था। इसके बाद इसी माह बोर्ड की बैठक बुलाने की तैयारी की जा रही थी कि उप महापौर एवं उनके सहयोगियों द्वारा राजनैतिक साजिश के तहत अध्यपेक्षा बैठक बुलाने की मांग कर डाली जिसका कोई औचित्य नहीं है। जबकि आसन्न बैठक की तिथि 28 नवंबर को तय हो चुकी है।
बैठक का आवेदन दे की जा रही विवाद पैदा करने की कोशिश
वर्तमान उपमहापौर को यह नागवार गुजरा और नगर पालिका अधिनियम 2007 की धारा 48(2) का जिक्र कर बैठक का आवेदन दे विवाद पैदा करने की कोशिश उनके द्वारा की गई। जबकि इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है। कहा कि दो वर्षो तक महापौर की कुर्सी पर वे विराजमान रही हैं। उन्हें पहले बिहार नगर पालिका अधिनियम 2007 की धारा 48 (2) सहित अन्य धारा को पढ़ना चाहिए। ऐसा लगता है उन्होंने किसी के बहकावे में ऐसा कदम उठाया है। ज्ञात हो कि बिहार नगर पालिका अधिनियम 2007 की धारा 27(4) के द्वारा विषय का चयन का अधिकार मुख्य पार्षद यानि महापौर में निहित है। धारा 49 में स्थगित बैठक हेतु पूर्व में निर्गत प्रस्ताव को नहीं बदले जाने का प्रावधान है और 25 (4) के प्रस्ताव को नहीं बदले जाने का प्रावधान है।
आवेदन में बुनियादी समस्याओं का जिक्र नहीं
अध्यपेक्षित बैठक के लिए दिए गए आवेदन में आठ माह से शहर की बुनियादी समस्याओं जैसे पुल-पुलिया, नाला, सड़क सफाई नहीं होने का जिक्र किया गया है। इसके पूर्व वर्तमान उप महापौर, महापौर की कुर्सी पर विराजमान थी इसलिए पांच माह तक बुनियादी सुविधा शहर का को बाधित करने का श्रेय पूर्व महापौर को ही है। जहां तक ईएसएसएल कंपनी द्वारा एलईडी लाइट लगाने की बात है तो यह उन्हें मालूम है कि इस कंपनी का एग्रीमेंट नगर विकास विभाग पटना के द्वारा किया गया है और छह माह में कुल 15,000 एलईडी लाइट लगाना है। कोई भी इसे एक माह में पूरा करने का दबाव नियमत: नहीं दे सकता है। अगर सभी पार्षद मिलकर शहर के हित में विकास के लिए तैयार हो तो महापौर उनके हर कदम से कदम मिलाकर चलने में पीछे नहीं रहेगी। कुछ पार्षद को महापौर से या उप महापौर से वक्तिगत कष्ट हो सकता है परंतु सभी बैर को भूलकर आज सबों को मिलकर पूर्णिया शहर के विकास के लिए आगे आने की आवश्यकता है। विकास के लिए मात्र तीन माह बचे हुए हैं क्योंकि फरवरी-मार्च में चुनाव हेतु आचार संहिता लगने वाला है।
विकास के लिए हर कुर्बानी देने को तैयार : विभा
पूर्णिया: नगर निगम की डिप्टी मेयर विभा कुमारी ने कहा है कि संवैधानिक पद पर बैठे लोगों को विद्वेष की भावना से काम नहीं करना चाहिए। राष्ट्रपति एवं राज्यपाल की तरह मेयर का भी पद संवैधानिक है, उन्हें पार्टी-पॉलिटिक्स से ऊपर उठकर विकास की बात करनी चाहिए।
डिप्टी मेयर विभा कुमारी ने कहा है कि निगम क्षेत्र का विकास उनकी प्राथमिकता है। इसके लिए वे हर कुर्बानी देने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि नई मेयर बने महीनों बीत गये लेकिन धरातल पर कोई नई योजना नहीं दिख पाई है। उन्हें डिप्टी मेयर या किसी वार्ड आयुक्त से विद्वेष हो सकता है, लेकिन जनता के हित के लिए उन्हें कदम उठाना चाहिए। जब 54 दिनों बाद भी मेयर ने विकास के मुद्दे को लेकर कोई बैठक नहीं बुलाई तब उन्होंने अध्यपेक्षा बैठक बुलाने की मांग की। उन्होंने कहा कि यदि पूर्व मेयर के कार्यकाल की योजना को ही धरातल पर उतार दिया जाये तो नगर की सूरत बदल सकती है। उन्होंने कहा कि नगर के विकास के लिए वे हर कदम उठाने के लिए तैयार हैं। विकास के मुद्दे पर अगर मेयर एक कदम उठाती हैं तो वे उनसे आगे बढ़कर उन्हें मदद करने को तैयार है। लेकिन पहले राजनीतिक विद्वेष से उन्हें ऊपर उठना होगा।