जंक फूड जितने आकर्षक, उतने ही घातक
पूर्णिया। आधुनिकता का सबसे अधिक नकारात्मक असर लोगों के आहार पर पड़ा है। पाश्चात्य संस्कृति
पूर्णिया। आधुनिकता का सबसे अधिक नकारात्मक असर लोगों के आहार पर पड़ा है। पाश्चात्य संस्कृति का असर लोगों पर इस कदर चढ़ा हुआ है कि लोग अपने पूर्वजों का आदेश, अपनी संस्कृति व परंपरा, अपने खान-पान सब भूलते जा रहे हैं। जंक अंग्रेजी का एक शब्द है, जिसका अर्थ है बेकार। जानकारों की मानें तो बेकार के तत्वों से तैयार खाद्य वस्तुएं, जिसमें कैलोरी तथा फैट अत्यधिक मात्रा में होता है। आज बाजार में फास्ट फूड जैसे पिज्जा, बर्गर, चॉकलेट, नूडल्स, मोमोज, पेस्ट्रीज, आइसक्रीम, चिप्स, टॉफी कोल्ड ड्रिंक्स, रेडिमेड बटर, पस्ता मैगी, पानीपुरी, भेलपुरी आदि बाजार में आकर्षक ढंग से पेश किए जाते हैं। एक बार फास्ट फूड खाने के बाद बार-बार खाने का जी करता है। जानकार बताते हैं कि ये देखने में जितने आकर्षक लगते हैं, वास्तव में वे उतने ही घातक होते हैं।
चादपुर भंगहा के कैलाश प्रसाद यादव कहते हैं कि युवा पीढ़ी जंक फूड के दुष्प्रभाव से बेखबर हैं इसीलिए चटकारे लेते हुए वे मजा से इन चीजों का सेवन करते हैं। संतमत आश्रम चकमका के लाल बाबा कहते हैं कि जंक फूड खाकर व्यक्ति का जीवन उलट पुलट और बेतरतीब हो रहा है।
वनस्पति शास्त्र के प्रो. प्रेम कुमार जायसवाल की मानें तो गलत खान-पान से पेट का सूक्ष्म जैव पर्यावरणीय वातावरण प्रदूषित हो जाता है। जिससे अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं। बोले कि इन खाद्य पदाथरें में मिलाए गए केमिकल युक्त तरल पदार्थ शरीर के अंदर उसके जैविक प्रक्रियाओं को विषाक्त कर देता है जो कई रोगों का कारण बनता है।
अनुमंडल अस्पताल बनमनखी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. प्रिंस कुमार सुमन कहते हैं कि जंक फूड के नियमित सेवन से शरीर में विटामिन, मिनरल्स, कैल्सियम आदि सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होती है। ज्यादा दिनों से रखे इन जंक फूड में बैक्टीरिया उत्पन्न हो जाते हैं और बाद में इससे शरीर में दर्द, चिड़चिड़ापन, घबराहट आदि के लक्षण दिखने लगते हैं।
भारत स्वाभिमान जानकीनगर के पंकज कुमार प्रेमी कहते हैं कि नमक, चीनी और मैदा शरीर के तीन महत्वपूर्ण जहर हैं। यदि हम स्वस्थ्य रहना चाहते हैं तो जंक फूड से परहेज करना चाहिए।