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अगलगी से बचने के प्रति विभाग और आम लोग उदासीन

पूर्णिया। शहरीकरण के दौर में बन रहे मकानों में अगलगी की घटना से बचाव के लिए अग्नि सुरक्षा मानक के प्

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 Jun 2018 08:05 PM (IST)Updated: Thu, 14 Jun 2018 08:05 PM (IST)
अगलगी से बचने के प्रति विभाग और आम लोग उदासीन
अगलगी से बचने के प्रति विभाग और आम लोग उदासीन

पूर्णिया। शहरीकरण के दौर में बन रहे मकानों में अगलगी की घटना से बचाव के लिए अग्नि सुरक्षा मानक के प्रति लापरवाही बरती जा रही है। अग्नि सुरक्षा नियम का पालन किए बगैर बड़े-बड़े भवनों का निर्माण हो रहा है जहां हमेशा अगलगी का खतरा मंडराते रहता है। जिले के शहरी क्षेत्र में संचालित हो रहे स्कूल, अस्पताल, पेट्रोल पंप और मॉल जैसे प्रतिष्ठानों में से मात्र 50 ऐसे हैं जहां अगलगी से बचाव के लिए अग्निशमन विभाग से एनओसी लिया गया है और फायर सिस्टम उपलब्ध है। अग्नि सुरक्षा से निपटने के लिए अग्निशामक विभाग से तय मानक के आधार पर एनओसी प्राप्त प्रतिष्ठान के आंकड़े बताते हैं कि प्रतिष्ठान संचालक अगलगी से बचाव को गंभीर नहीं हैं। फायर एक्ट के तहत अग्नि सुरक्षा मानक को पालन करवाने के प्रति जिला प्रशासन भी उदासीन ही है। आलम यह है कि बड़ी संख्या में विवाह भवन रहने के बाद भी महज नाम के विवाह भवनों में ही अग्निशामक विभाग से एनओसी लिया गया है। पूर्णिया में जिन विवाह भवनों में अग्निशामक विभाग से एनओसी लिया गया है उनमें बाइपास मोड़ स्थित नीला गार्डेन विवाह भवन, उत्सव विवाह हाल, जलसा विवाह भवन, कोलकाता विवाह भवन और राजस्थान विवाह भवन शामिल है। इसके अलावा किसी भी विवाह भवन के संचालक ने अग्निशामक विभाग से एनओसी नहीं लिया गया है। हद तो यह है कि कई होटलों और नर्सिंग होम भी भगवान भरोसे चल रहे हैं। इनमें ना तो किसी विशेष परिस्थति से निपटने के उपाय किए गए हैं और ना ही अग्निशामक विभाग से एनओसी लिया गया है।

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अग्नि सुरक्षा के लिए चिन्हित हैं नौ प्रकार के भवन

अगलगी से बचाव आसानी से करने के लिए अग्निशमन विभाग ने इसे नौ भागों में बांटकर सुरक्षा मानक तय रखा है। भवन के उपयोग और संरचना के आधार पर अग्नि सुरक्षा के लिए फायर सिस्टम उपलब्ध कराया जाता है। इसमें पहले भाग में इंस्टीट्यूशनल भवन (अस्पताल आदि), दूसरे में कॉमर्शियल भवन (होटल, शॉप आदि, तीसरे में मर्चेन्टाइल भवन (मॉल), चौथे में असेंबली भवन, पांचवें में एजुकेशनल भवन, छठे में गोदाम और स्टोरेज भवन, सातवें में इंडस्ट्रीयल भवन, आठवें भाग में आवासीय भवन और हजार्ड भवन (पेट्रोल पंप और विस्फोटक पदार्थ) हैं।

भवन संरचना के आधार पर मिलता है एनओसी

अग्निशमन विभाग किसी भी भवन की संरचना के आधार पर एनओसी देता है। विभाग के अधिकारी भवन संरचना और उसके क्षेत्रफल का निरीक्षण कर आपातकाल के दौरान आग से बचाव के लिए कारगर फायर सिस्टम स्थापित कराते हैं। इस कार्य के लिए अग्निशमन विभाग का कार्य बिल्कुल सुस्त है। अग्निशमन विभाग के धीमे कार्य का नतीजा है कि शहरी क्षेत्र में अब तक 10 स्कूल, 12 अस्पताल, 5 पेट्रोल पंप और 4 मॉल फायर सिस्टम से लैश हैं।

कहते हैं अधिकारी :

आग की घटना से बचाव के लिए प्रतिष्ठानों में फायर सिस्टम अनिवार्य है। बिना फायर सिस्टम के संचालित हो रहे प्रतिष्ठानों की सूची तैयार कर फायर सिस्टम लगाने को कहा जाएगा।

आरके यादव, अग्निशमन पदाधिकारी


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