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त्याग, समर्पण एवं बलिदान के प्रतिमूर्ति थे सुभाष चंद्र बोस

राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई प्रथम एवं द्वितीय के संयुक्त तत्वाधान में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 125वीं जयंती पूर्णिया कॉलेज के सेमिनार हाल में मनाई गई।

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Jan 2021 11:23 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jan 2021 11:23 PM (IST)
त्याग, समर्पण एवं बलिदान के प्रतिमूर्ति थे सुभाष चंद्र बोस
त्याग, समर्पण एवं बलिदान के प्रतिमूर्ति थे सुभाष चंद्र बोस

पूर्णिया। राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई प्रथम एवं द्वितीय के संयुक्त तत्वाधान में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 125वीं जयंती पूर्णिया कॉलेज के सेमिनार हाल में मनाई गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य डॉ मुहम्मद कमाल ने की। उन्होंने कहा कि नेताजी का जीवन त्याग, समर्पण एवं बलिदान के लिए जाना जाता है। देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए उन्होंने आजाद हिद फौज की स्थापना की थी। इस मौके पर राजीनीति विज्ञान के प्रोफेसर डॉ देवनारायण यादव, अंग्रेजी के डॉ शंभूलाल वर्मा, जंतुविज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो राकेश ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर महाविद्यालय के डॉ मरगूब आलम, डॉ इश्तियाक अहमद, कुसुमकर चौहान, डॉ नन्दन कुमार भारती एवं अन्य शिक्षक-शिक्षकेत्तर कर्मचारी एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वंसेवक निरुपम तेजस्वी केशव आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम में मंच संचालन राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई प्रथम की कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ अंकिता विश्वकर्मा तथा धन्यवाद ज्ञापन राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम पदाधिकारी प्रो ज्ञानदीप गौतम ने किया। राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।

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पराक्रम दिवस के रूप में मनाई गई सुभाष चंद्र बोस की जयंती

जागरण संवाददाता, पूर्णिया: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पूर्णिया कॉलेज के सेमिनार हॉल में मनाई। इस मौके पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। अभाविप के प्रदेश सह मंत्री रवि गुप्ता ने कहा कि यह गर्व की बात है कि सुभाष चंद्र बोस के पराक्रम को भारत सरकार ने आम जनमानस तक पहुंचाने के लिए आज के दिन को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया है। विगत 60 वर्षों से भी अधिक समय तक जिस पार्टी ने देश पर राज किया, उसने कभी भी नेताजी के के पराक्रम गाथा को जनमानस के बीच नहीं आने दिया। शहीद होने के बाद भी उनके द्वारा देश के लिए किए गए अभूतपूर्व बलिदानों को भी इतिहास में ठीक से जगह नहीं दिया। जब देश के आम जनमानस और युवाओं ने सुभाष चंद्र बोस को अपना नायक मान लिया, तब आज वैसे लोग जिन्होंने उन्हें भारतीय इतिहास से दरकिनार करने की हर संभव कोशिश की और इसमें नाकाम होने के बाद उनकी जयंती मनाना शुरू कर दिया। आज पूरा देश उनके जन्मदिवस को पराक्रम दिवस के रूप में मना कर नेताजी के पराक्रम, शौर्य की गाथाएं देश के कोने-कोने में फैला रही है।

कोशी विभाग संयोजक रोशन कुमार ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस ने उस समय सिविल सर्विस की नौकरी छोड़कर देश सेवा में खुद को खपा दिया, उनके जीवन से हम सबों को त्याग और बलिदान की प्रेरणा मिलती है। अपने पूरे जीवन काल में नेताजी ने जिस प्रकार से त्याग और बलिदान दिया है, वह हम सभी युवाओं की आने वाली हर एक पीढ़ी को त्याग और बलिदान के लिए प्रेरित करते रहेगी। विश्वविद्यालय परिसर अध्यक्ष शुभम ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस के जीवनी से हम सबों के अंदर अपने देश और समाज के प्रति कर्तव्यों का एक बोध होता है। इस मौके पर भानु, कोमल कुंज, कुमार प्रिस, गौरव, पूजा कुमारी, चंदा, कुंदन, जितेंद्र, संगीत, नेहा, सुमित, अभिषेक, विशाल आदि मौजूद थे।


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