मिली जमीन, अब आसमान पर नजर रखेगा डॉप्लर वेदर रडार
पूर्णिया। मौसम विभाग के विस्तारीकरण की राह का रोड़ा दूर हो गया है। इसके लिए जमीन मिल गइ
पूर्णिया। मौसम विभाग के विस्तारीकरण की राह का रोड़ा दूर हो गया है। इसके लिए जमीन मिल गई है। अब आसमान पर नजर रखने के लिए डॉप्लर वेदर रडार लगाया जाएगा। फोर स्टोरेज भवन के साथ मौसम की सटीक जानकारी के लिए अन्य अत्याधुनिक उपकरण भी लगाए जाएंगे। अब कोसी के इलाके में मौसम की सटीक जानकारी और पूर्वानुमान भी सुलभ होगा।
15 हजार वर्ग फीट जमीन की है दरकार
इसके लिए पूर्णिया स्थित मौसम विभाग को 15,000 वर्गफीट जमीन की दरकार है। वरीय अपर समाहर्ता डॉ. रविंद्र प्रसाद ने इसके लिए मौसम विभाग के समीप स्थित खासमहाल की जमीन चिह्नित कर स्वीकृति के लिए प्रमंडलीय आयुक्त को भेजा है।
बिहार में सिर्फ पटना में है रडार
बिहार में अभी सिर्फ पटना में वेदर डॉप्लर रडार लगा हुआ है जिससे वायुमंडल की जानकारी मिलती है। लेकिन इसकी क्षमता कम है। जिसकी परफेक्ट एक्यूरेसी मात्र 300 किमी है। जबकि समुद्र तल से पूर्णिया की ऊंचाई 37.8 मीटर है। अगर यहां रडार लगता है तो लगभग 500 किलोमीटर एअर डिस्टेंस में वायुमंडल की हर गतिविधि रिकार्ड की जा सकेगी।
सामरिक दृष्टिकोण से भी है महत्वपूर्ण
पूर्णिया में रडार की आवश्यकता सामरिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। चीन की सीमा से नजदीक होने के कारण यह क्षेत्र काफी संवेदनशील है। पूरे उत्तर-पूर्वी क्षेत्र पर यहां से नजर रखी जा सकती है। यही वजह है कि यहां सैन्य हवाई अड्डा स्थापित किया गया। अगर यहां रडार लगने से चीन सहित वर्मा, बांग्लादेश, नेपाल व भूटान के क्षेत्र तक इसकी पहुंच हो सकती है। वायुमंडल में मौजूद पार्टिकल की दूरी और उसकी प्रकृति की सही जानकारी रडार से मिल सकेगी।
मौसम व वायुमंडल की सटीक जानकारी मिल सकेगी
रडार से यहां मौसम संबंधी सटीक पूर्वानुमान मिलेगा। बादल की स्थिति की भी सही जानकारी रडार से मिल सकेगी। अक्सर प्राकृतिक प्रकोप का सामना क्षेत्र वासियों को करना पड़ता है। बाढ़, तूफान जैसी प्राकृतिक आपदा से यहां के लोगों को अक्सर दो-चार होना पड़ता है। भूकंप के लिए यह क्षेत्र अति संवेदनशील है। रडार लगने से उन आपदाओं की पहले जानकारी मिल सकेगी जिससे नुकसान को कम किया जा सकेगा। इससे हवाई सेवा में भी सुधार होगा। विमान की लैंडिंग रात में भी संभव हो सकेगी।
लगेंगे अत्याधुनिक उपकरण भी
मौसम विभाग अपग्रेड होने के बाद यहां बाढ़ की पूर्व सूचना के लिए फ्लडमैट सेंटर बनाया जाएंगा। इसके अलावा मौसम की जानकारी के लिए आरएस-आरडी विंड, ऑटोमेटिक वेदर सिस्टम आदि भी लगाए जाएंगे।