पाठकीय परंपरा के लिए पुस्तक मेला का आयोजन आवश्यक
पूर्णिया। प्रगतिशील पाठकीय परिवेश की परंपरा को बरकरार रखने के लिए नियमित पुस्तक मेला क
पूर्णिया। प्रगतिशील पाठकीय परिवेश की परंपरा को बरकरार रखने के लिए नियमित पुस्तक मेला का आयोजन बहुत जरूरी है। मेला के आयोजन से युवा पीढ़ी को इस परंपरा से जोड़ने का मौका मिलता है। यह एक बेहतर माहौल प्रदान करता है। उक्त बातें पुस्तक मेला के उद्घाटन के मौके पर सालमारी कॉलेज, कटिहार के प्राचार्य संजय कुमार सिंह ने कही।
उन्होंने कहा कि पुस्तक कब किस समय किसके जीवन में बड़ा बदलाव ला दे यह कहना मुश्किल है। उन्होंने लोगों से अपील की कि आप पुस्तक पढ़े तो अच्छी बात है लेकिन ना पढ़े तब भी पुस्तक खरीद कर संग्रह जरूर करें कब आपके घर के बच्चे इस पुस्तक को पढ़ कर सही रास्ते पर चल पड़े कहना मुश्किल है। संस्कृति प्रकाशन और मां सुशीला देवी एजुकेशन ट्रस्ट के तत्वावधान में पूर्णिया पुस्तक मेला 2020 का आगाज शुक्रवार को स्थानीय ततमा टोली स्थित गोकुल सिंह ठाकुरबाड़ी मैदान में हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता बुजुर्ग समाज के अध्यक्ष भोलानाथ आलोक ने किया। अन्य मंचासीन बुद्धिजीवियों में सालमारी कॉलेज, कटिहार के प्राचार्य संजय कुमार सिंह, बीएनएमयू के पूर्व डीन शिवमुनि यादव, समाजसेवी और चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष जगत लाल वैश्यंत्री, कथाकार चंद्रकात राय, डॉ. नीलाबर, आकाशवाणी के अवकाश प्राप्त निदेशक विजय नंदन प्रसाद, नित्यानंद कुमार, कला पत्रिका के संपादक कालाधर, गौरीशकर पूर्वोत्तरी, महंत मुरारी बापू, साहित्यकार डॉ रामनरेश भक्त आदि शामिल थे। सभी ने कहा कि इतने लंबे समय के बाद पुस्तक मेला का आयोजन हो रहा है। मेला प्रत्येक वर्ष आयोजित होनी चाहिए। युवा पीढ़ी को पुस्तक से जोड़ने की जरूरत है। इससे वे सोशल मीडिया की लत से बच सकेंगे। पुस्तक सबसे अच्छा मित्र है। करीब 8 वषरें के लंबे अंतराल के बाद पुस्तक मेला का आयोजन किया जा रहा है। सभी ने कहा कि पूर्णिया के साहित्यकारों की कर्मभूमि रही है। यहां पर साहित्यकार सतीनाथ भादुरी की कर्मभूमि है। चर्चित उपन्यास ढोदाय चरित मानस की कथा भूमि रही है। इसके बावजूद यहां पर पुस्तक मेला का नियमित आयोजन ना हो पाना दुखद है। मंच संचालन अजय सिंह और संजय कुमार सिंह ने किया। अतिथियों का स्वागत आयोजन समिति के संयोजक निलेश कुमार, गोविंद प्रसाद दास, मुकेश कुमार, रुपेश नंदन ने बुके देकर किया। मेला 16 तक चलेगा। मेला में नामचीन साहित्यकार समेत स्थानीय कथाकारों के पुस्तक की प्रदर्शनी लगी है।
दो दर्जन प्रकाशक व 40 स्टॉल
मेला में राजकमल प्रकाशन, सस्ता साहित्य मंडल, जागृति पब्लिकेशन, नई किताब दिल्ली, एनबीटी, साहनी पब्लिकेशन, कबीर प्रचारिणी, सरस्वती बुक हाउस, पटना बुक सेटर, विवेकानंद संस्थान, श्लोक प्रकाशन और संस्कृति प्रकाशन की पुस्तकों के साथ-साथ उर्दू और बांग्ला साहित्य के प्रकाशकों की ओर से स्टॉल लगाए जाएंगे। यह मेला दस दिनों तक चलेगा। मेले के लिए एक आयोजन समिति भी बनी है। मेले में साहित्य, सांस्कृतिक और शैक्षिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।