सावधानी से सड़क पर होने वाली मौत में आ सकती है कमी
पूर्णिया। यातायात नियमों की अनदेखी सड़क हदसों के लिए जिम्मेदार है। दुर्घटना में मौत से अधि
पूर्णिया। यातायात नियमों की अनदेखी सड़क हदसों के लिए जिम्मेदार है। दुर्घटना में मौत से अधिक कष्टदायक अंग का बेकार हो जाना है। बीमारी से अधिक मौत सड़क पर हो रही है। बड़ी संख्या में लोग अपने शरीर के अंग भी खो देते हैं। सावधानी से इस पर लगाम संभव है। जिले में आंकड़ों के मुताबिक 2019 में 450 से अधिक हादसे हुए उसमें 245 लोग घायल हो गए और 203 लोगों की मौत हो गई है।
जिले में इतनी बड़ी तादाद में होने वाले सड़क हादसों से परिवार तो बिखरता ही है, साथ ही समाजिक सरोकार से भी दूर हो जाता है। दुर्घटनाओं में युवाओं की तादाद अधिक होती है। ऐसे कई हादसे हुए र्ह जिसमें युवा की मौत के बाद बुजुर्ग माता-पिता के कंधे का सहारा हमेशा के लिए छिन जाता है।
जिले में सड़क हादसों की सबसे बड़ी वजह यातायात नियमों की अनदेखी है। जिन कंधों पर यातायात नियमों का पालन कराने की जिम्मेदारी है उनसे ही चूक हो रही है। बाइक सवारों को हेलमेट और कार चालक को सीट बेल्ट लगाना अनिवार्य है। इसकी गंभीरता को चालक नहीं समझते हैं।
एक आंकड़े के मुताबिक आधे अधिक बाइक सवार हेलमेट नहीं पहनते हैं। ओवरटेक, वाहन की रफ्तार, दाएं और बाएं का ख्याल नहीं रखना हादसों का बड़ा कारण है। पॉलिटेक्निक चौक, सुदीन चौक, नेवालाल चौक, मधुबनी का मझली चौक समेत नेशनल हाइवे सड़क दुर्घटना का प्रमुख स्पॉट है। इसके अलावा पिकअप, ऑटो, यहां तक कि ट्रकों और ट्रैक्टर ट्रालियां भी सड़क दुर्घटना का प्रमुख कारण हैं। इससे निपटने के लिये शख्त कानून की जरूरत है। साथ ही सब नागरिकों की नैतिक जिम्मेदारी समझ सड़क सुरक्षा के नियमों की पालना को अपना कर्तव्य माने तो सड़क दुर्घटनाओ को काफी हद तक कमी संभव है। सड़क सड़क दुर्घटनाओं में करीब 80 फीसद दुर्घटनाएं वाहन चालक की गलती से होती हैं। हादसों को रोकने के लिए सबसे अधिक ध्यान वाहन चालकों की गलती को सुधारने में देना आवश्यक है। ज्यादा से ज्यादा वाहन चालकों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। ड्राइविग लाइसेंस देने में प्रक्रिया और अधिक सख्त करने की आवश्यकता है। जिले में सड़क दुर्घटनाओं का आंकड़ा
वर्ष - घायल - मौत
2017 - 203 163
2018 - 204 178
2019 - 245 203