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बालश्रम मुक्त राज्य बनाने के लिए जागरूकता जरूरी : प्राचार्य

विश्व बाल श्रम उन्मूलन दिवस के अवसर पर शनिवार को कृषि कॉलेज में ऑनलाइन जागरूकता कार्यक्रम आयोजन शनिवार को सेवा योजना एवं एनसीसी इकाई के तत्वाधान में किया गया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 12 Jun 2021 07:48 PM (IST)Updated: Sat, 12 Jun 2021 07:48 PM (IST)
बालश्रम मुक्त राज्य बनाने के लिए जागरूकता जरूरी : प्राचार्य

पूर्णिया। विश्व बाल श्रम उन्मूलन दिवस के अवसर पर शनिवार को कृषि कॉलेज में ऑनलाइन जागरूकता कार्यक्रम आयोजन शनिवार को सेवा योजना एवं एनसीसी इकाई के तत्वाधान में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कॉलेज के प्राचार्य डॉ. पारसनाथ ने किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्राचार्य ने कहा कि बाल श्रम उन्मूलन दिवस का आयोजन वर्ष 2002 से पूरे विश्व में बाल श्रमिकों की समस्याओं के समाधान हेतु किया जा रहा है। बिहार सरकार इसके लिए बाल श्रम उन्मूलन विमुक्त एवं पुनर्वास-राज्य कार्य योजना को मंजूरी दी है। इसका उद्देश्य राज्य में व्याप्त बालश्रम समस्या रुपी कलंक को दूर कर बिहार को बालश्रम मुक्त राज्य बनाना है। इसके लिए बिहार राज्य बाल श्रमिक आयोग द्वारा राज्य के विभिन्न शिक्षण संस्थानों के माध्यम से युवा छात्र-छात्राओं को बाल श्रम विषय पर सेमिनार, वाद विवाद प्रतियोगिता, भाषण प्रतियोगिता एवं चित्रकला प्रतियोगिता आदि कार्यक्रमों के आयोजन करके छात्र-छात्राओं को जागरुक किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यदि कोई व्यक्ति 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से कार्य करवाता है तो उसे बालश्रम कीे श्रेणी में माना जाता है। उन्होंने बताया कि भारत की संविधान के अनुच्छेद 23 के अन्तर्गत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का खतरनाक उद्योगो में रोजगार पर प्रतिबंध हैं। भारत सरकार द्वारा वर्ष 1986 में बालश्रम निषेध अधिनियम पारित किया गया तथा वर्ष 1987 में राष्ट्रीय बालश्रम नीति बनाई गई। जिसके अंतर्गत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से काम करवाना अपराध की श्रेणी में माना गया है। उन्होंने छात्रों से आह्वान किया कि यदि इस प्रकार की जानकारी मिलती है कि बच्चों से काम कराया जा रहा है, तो इसकी सूचना बालश्रम विभाग के संबंधित पदाधिकारी को अवश्य प्रदान करें। उन्होंने छात्रों से कहा कि वर्तमान युग प्रतियोगिता का युग है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफल होने के लिए हमें अपना कार्य केवल भली प्रकार ही नहीं करना है बल्कि इस प्रकार करना होता है कि हम अन्य प्रतियोगियों की अपेक्षा अधिक श्रेष्ठ साबित हों तभी हम प्रतियोगिता में सफल हो सकते हैं। प्राचार्य ने उपस्थित सभी छात्र-छात्राओं को बताया कि कठिन परिश्रम का कोई विकल्प नहीं। कार्यक्रम का संचालन महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना ईकाई के कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ.पंकज कुमार यादव एवं एनसीसी इकाई के पदाधिकारी डॉ. अनिल कुमार की देखरेख में किया गया।इस अवसर पर महाविद्यालय के अन्य वैज्ञानिकों में डॉ.रवि केसरी, डॉ.रुबि साहा, डॉ. तपन गराइ आदि ने ऑनलाईन अपना सहयोग प्रदान किया।

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