गलैक्सी अस्पताल में जबरन मरीज को किया भर्ती, हंगामा
पूर्णिया। लाइन बाजार स्थित गैलक्सी अस्पताल में जबरन मरीज की भर्ती कर इलाज करने पर जबरदस्त हंगामा हुआ
पूर्णिया। लाइन बाजार स्थित गैलक्सी अस्पताल में जबरन मरीज की भर्ती कर इलाज करने पर जबरदस्त हंगामा हुआ। हंगामे के बाद डॉक्टर ने भी अपनी गलती मानी और मरीज को डिस्चार्ज कर दिया। मामला खगड़िया के परबत्ता के रहने वाले दुर्घटनाग्रस्त दो युवकों का है। दोनों रविवार देर शाम बस स्टैंड के पास मोटर साइकिल से दुर्घटनाग्रस्त हो गए थे। घायल युवक कन्हैया कुमार और सुभाष इलाज के लिए अस्पताल पहुंचे। कन्हैया ने अपना इलाज सदर अस्पताल में कराया और सुभाष लाइन बाजार स्थित गलैक्सी अस्पताल में इलाज के लिए चला गया। दोनों को मामूली चोट लगी थी। इस बीच उसके परिजन भी अस्पताल पहुंचे। सुभाष को गलैक्सी में भर्ती कर लिया गया। कन्हैया सदर अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद अपने घायल मित्र सुभाष को देखने के लिए गलैक्सी अस्पताल पहुंचा तो उसके सिर और पैर में पट्टी बंधा देख कर्मियों ने जबरन भर्ती कर ली। उसके विरोध करने पर गार्ड द्वारा धमकी दी गई और कहा गया इलाज कराओ। सुभाष के परिजन से दस हजार रूपए पहले ही जमा करा लिया गया था। कन्हैया कुमार ने बताया कि उसको जबरदस्ती भर्ती कर आक्सीजन मॉस्क लगाया जा रहा था। उसके विरोध करने पर आक्सीजन मॉस्क हटा लिया गया। सोमवार को जब कन्हैया बाहर जाने की कोशिश करने लगा तो गार्ड ने जबरन रोक लिया और कहा इलाज कराओ और अपने परिजन को बोलो और रूपए जमा करे। परिजन भी जब पहुंचे तो उसे मना कर दिया गया। अस्पताल प्रबंधन ने डिस्चार्ज करने से भी मना कर दिया है और कहा कि और रूपया जमा करना होगा दोनों मरीज का इलाज हुआ है। सुभाष कुमार की भर्ती की गई थी उसके एवज में दस हजार रूपए पहले ही जमा करवा लिया गया था। अब दोनों को और रूपए जमा करने को कहा गया साथ 72 घंटे अस्पताल में रहने की अनिवार्य शर्त भी बताई गई। इस पर परिजन काफी गुस्से में आ गए। मौके पर जाप नेता राजेश यादव पहुंचे और परिजनों ने उसके सामने अपनी आपबीती सुनाई। इस पर राजेश यादव ने अस्पताल प्रबंधन से बात की तो उसने दोनों के भर्ती होने की बात स्वीकार की और कहा कि दोनों का अभी इलाज चल रहा है। मरीज से जब इस संबंध में पूछा गया तो उन्होने बताया उन्हें अबतक एक सूई भी नहीं लगी है और रूपए जमा क्यों करेंगे। इस बाबत जब अस्पताल के डॉक्टर से सूचना दी गई तो उसने अस्पताल कर्मियों की गलती स्वीकार कर ली। मरीज को डिस्चार्ज करने के लिए राजी हुए और माफी मांगी। गलैक्सी अस्पताल के निदेशक बीएन कुमार ने कहा कि कर्मियों से गलती हुई है जबरन भर्ती किए गए मरीज को डिस्चार्ज करा दिया गया है।