गर्भ में चल जाएगा पता कि बच्चा मानसिक व शारीरिक रूप से कितना है स्वस्थ, जानें कैसे Patna News
बच्चा गर्भ में स्वस्थ है या नहीं इसका पता लगाया जा सकेगा। यह सब संभव हो सकेगा नॉन-इंवेसिव प्री-नेटल स्क्रीनिंग टेस्ट (एनआइपीटी) कराने से। जानें कैसे होगा ये सब।
नलिनी रंजन, पटना। अब मां के खून से ही पता चल सकेगा कि उनके गर्भ में पल रहा बच्चा मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ है या नहीं। बच्चे में किसी प्रकार की क्रोमोजोनल विकृति है या नहीं, यह भी पता चलेगा। यह सब संभव हो सकेगा नॉन-इंवेसिव प्री-नेटल स्क्रीनिंग टेस्ट (एनआइपीटी) कराने से।
इस जांच के माध्यम से गर्भ में पल रहे सेल फ्री भ्रूण का डीएनए की जानकारी मिल सकेगी। इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (आइजीआइएमएस) में यह जांच आरंभ हो गई है। अब तक चार मरीजों की ऐसी जांच हो चुकी है। ट्रायल के रूप में इस सप्ताह तक कोई शुल्क नहीं देना होगा। इसके बाद शुल्क निर्धारित कर दिया जाएगा।
क्रोमोजोनल विकृति की ससमय मिल सकेगी जानकारी
आइजीआइएमएस के स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपाली प्रसाद ने बताया कि एनआइपीटी जांच के माध्यम से गर्भस्थ शिशुओं में क्रोमोजोमनल विकृति की जानकारी मिलती है। इस सिंड्रोम में जन्म तो होगा लेकिन नवजात का कान छोटा, गले, हर्ट व आंख में डिफेक्ट रहेगी। बच्चा जन्म के बाद भी पूरी तरह से स्वस्थ नहीं रहेगा। यह संरचनात्मक विकृति को भी बता देती है।
इस जांच के माध्यम से बच्चे का ब्लड ग्रुप भी पता चलेगा। उन्होंने बताया कि पांच फीसद बच्चों में क्रोमोजोनल डिफेक्ट होते हैं। 30 वर्ष के बाद मां बनने वाली महिलाओं में इस तरह का खतरा अधिक होता है। इसमें उचित समय में जांच जरूरी है। ताकि समय रहते इसकी जानकारी हो सके।
बाजार से गुणात्मक कम होगी खर्च
चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि एनआइपीटी जांच आरंभ की गई है। यह अभी ट्रायल के दौर में है। जल्द ही इसका दर निर्धारण किया जाएगा। यह दर बाजार दर से कम होगा।