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वीर कुंवर से जुड़े एक सवाल के गलत जवाब ने ले ली 900 की नौकरी, जानें क्या है ये

बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) 64वीं की संयुक्त प्रतियोगिता प्रारंभिक परीक्षा के जवाब में विवाद हो गया है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Thu, 14 Mar 2019 11:36 AM (IST)Updated: Thu, 14 Mar 2019 11:36 AM (IST)
वीर कुंवर से जुड़े एक सवाल के गलत जवाब ने ले ली 900 की नौकरी, जानें क्या है ये
वीर कुंवर से जुड़े एक सवाल के गलत जवाब ने ले ली 900 की नौकरी, जानें क्या है ये

जयशंकर बिहारी, पटना। बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) 64वीं की संयुक्त प्रतियोगिता प्रारंभिक परीक्षा में आजादी के योद्धा वीर कुंवर सिंह की पहली लड़ाई से संबंधित प्रश्न को लेकर अभ्यर्थी व आयोग आमने-सामने हैं। सेट ‘डी’ के प्रश्न संख्या 113 में पूछा गया कि कुंवर सिंह अंग्रेजों के खिलाफ 1857 के विद्रोह में किस जगह शामिल हुए? जवाब में आरा, पटना, बेतिया, वाराणसी तथा उपयुक्त में से कोई नहीं व उपयुक्त में से एक से अधिक का विकल्प दिया गया था। अधिसंख्य छात्रों ने विकल्प ‘ए’ आरा को चुना, लेकिन, बीपीएससी की आंसर-की में पटना को सही जवाब बताया गया है।

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आरा और पटना में उलझ गए अनुभवी

अभ्यर्थियों का कहना है कि बिहार राज्य टेक्स्ट बुक और नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) सहित अधिसंख्य पुस्तकों में आरा का उल्लेख है। वहीं, विषय विशेषज्ञों का कहना है कि विख्यात इतिहासकार व पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. केके दत्त ने बायोग्राफी ऑफ अमर सिंह एंड कुंवर सिंह में पटना का उल्लेख किया है।

और भी उलझाने वाले हैं सवाल

एक भारतीय राज्य के रूप में बिहार कब बना? इस प्रश्न के जवाब को लेकर भी अभ्यर्थी आपत्ति जता रहे हैं। बीपीएससी के विशेषज्ञ इसका सही जवाब 1936 ई. बता रहे हैं, जबकि अभ्यर्थियों का कहना है कि सही जवाब 1912 ई. होगा। इस पर विशेषज्ञों का तर्क है कि 1912 में बिहार एंड उड़ीसा प्रोविन्स बना। 1935 में स्टेट ऑर्डिनेंस पास होने के बाद राज्य जमीन पर आए जबकि बिहार सरकार की वेबसाइट और टेक्स्ट बुक में बिहार राज्य की स्थापना का वर्ष 1912 ही दर्ज है। इन दो प्रश्नों को लेकर मारामारी इसलिए भी ज्यादा है कि क्योंकि सामान्य श्रेणी में इस बार कटऑफ मार्क्‍स 97 है, मगर एक अंक के कारण 900 से अधिक अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा के लिए क्वालीफाई नहीं कर सके हैं। वहीं दो अंकों से क्वालिफाई न कर पाने वाले अभ्यर्थियों की संख्या 2200 के आसपास है।

कुल नौ प्रश्नों को लेकर विवाद

एक अन्य प्रश्न बाल गंगाधर तिलक ‘लोकमान्य तिलक’ के नाम से जाना जाने लगे, जब? इसके विकल्प ‘ए’ वे एक लोकप्रिय शिक्षक बने, ‘बी’ उन्होंने एक लोकप्रिय अखबार शुरू किया, ‘सी’ सरकार ने उन्हें रैंड मर्ड केस में अभियुक्त बनाया, ‘डी’ उन्होंने शिवाजी और गणपति उत्सव शुरू किया तथा ‘ई’ उपयरुक्त में से कोई नहीं या उपयरुक्त में से एक से अधिक दिए गए हैं। बीपीएससी ‘ई’ को सही जवाब माना है। वहीं, अभ्यर्थियों का कहना है कि टेक्स्ट बुक में ‘सी’ की चर्चा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी प्रमाणिक पुस्तक में किसी एक घटना के बाद उन्हें ‘लोकमान्य’ कहने की चर्चा नहीं है। इस कारण ‘ई’ विकल्प को सही बताया गया है। कुल नौ प्रश्न हैं। जिसे लेकर अभ्यर्थी बीपीएससी प्रबंधन को दोबारा आंसर-की जारी कर रिजल्ट प्रकाशित करने की मांग कर रहे हैं। इधर, अभ्यर्थी अरविंद कुमार ने कहा कि आयोग ने आपत्ति पर कार्रवाई नहीं की तो उच्च न्यायालय में अपील की गई है।

आपत्ति पर विशेषज्ञ का फैसला ही अंतिम

बीपीएससी के परीक्षा नियंत्रक अमरेंद्र कुमार ने बताया कि किस प्रश्न का कौन सा जवाब सही है या किस प्रश्न को डिलिट करना है। यह विषय विशेषज्ञ ही निर्धारित करते हैं। अभ्यर्थियों की आपत्ति पर विषय विशेषज्ञों की मुहर के बाद ही फाइनल आंसर-की के आधार पर रिजल्ट जारी किया गया है। विषय विशेषज्ञों की टीम में अनुभवी प्रोफेसर शामिल होते हैं।तीन प्रश्न डिलीट कर जारी किया रिजल्ट अभ्यर्थी पीटी के नौ प्रश्नों के जवाब से असंतुष्ट हैं। इनमें से तीन प्रश्नों को बीपीएससी ने डिलीट कर 147 अंक पर रिजल्ट जारी किया है। कुछ अभ्यर्थी डिलीट पर भी सवाल उठा रहे हैं। जब ‘ई’ में उपयुक्त में से कोई नहीं व उपयुक्त में से एक से अधिक का विकल्प दिया हुआ है तो प्रश्न डिलीट क्यों किए गए? पीटी में उच्चतम 137 अंक अभ्यर्थी ने प्राप्त किया है।


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