हिंदी के हस्ताक्षर प्रो नंदकिशोर नवल की पूरी हुई आरजू, जहां पढ़ाते थे उसी कक्षा से दी गई अंतिम विदाई
अंतिम दर्शन के लिए पटना विश्वविद्यालय लाया गया हिंदी के आलोचक डॉ. नंदकिशोर नवल का पार्थिव शरीर। हिंदी के पुत्र को अंतिम विदाई भी उनकी इच्छानुसार हिंदी की कक्षा से दी गई।
पटना, जयशंकर बिहारी। हिंदी के पुत्र को अंतिम विदाई भी उनकी इच्छानुसार हिंदी की कक्षा से दी गई। पटना विश्वविद्यालय के दरभंगा हाउस की जिन सीढिय़ों ने युवा नवल को हिंदी साहित्य के शीर्ष की ओर बढ़ते देखा, बुधवार को वह उन्हें श्मशान घाट विदा कर रही थीं। यह हिंदी के शीर्षस्थ आलोचक और प्रोफेसर डॉ. नंदकिशोर नवल की अंतिम यात्रा थी, जो उनकी ही इच्छा अनुसार पूरी हुई।
संयोग यह कि नवल बाबू के शिष्य ही दरभंगा हाउस के वर्तमान हिंदी अध्यक्ष हैं। वे कहते हैं, गुरुदेव की आखिरी इच्छा थी कि मरने के बाद उनकी अंतिम यात्रा दरभंगा हाउस से निकले। हॉस्पिटल में कहा था, समय आ गया है। इच्छा जरूर पूरी करना। बुधवार की सुबह उनकी पत्नी ने संपर्क किया। लॉकडाउन के कारण बंद कक्षा और कार्यालय खोला गया। विभागाध्यक्ष समेत दर्जनों शिक्षक अंतिम दर्शन को डबडबाई आंखों से पहुंचे।
हिंदी साहित्यकार और उनके साथ दरभंगा हाउस में शिक्षक रहे प्रो. रामबचन राय कहते हैं, पढऩे और पढ़ाने के प्रति उनके जैसा समर्पण वाला व्यक्ति शताब्दी बाद जन्म लेता है। 1998 में सेवानिवृत होने के बाद भी दरभंगा हाउस से जुड़े रहे। हिंदी विभाग के प्रो. शरदेंदु कुमार, प्रो विभा कुमारी, प्रो. दिलीप राम जैसे कई शिष्य विभिन्न विश्वविद्यालयों में शिक्षक हैं। हिंदी के हस्ताक्षर प्रो. बलराम तिवारी भी उनके शिष्यों में एक हैं।
विश्वविद्यालय से आधी सदी रहा साथ
डॉ. नंदकिशोर नवल का पटना विश्वविद्यालय और दरभंगा हाउस से रिश्ता आधी सदी का रहा। यहीं उन्होंने हिंदी के हस्ताक्षर आचार्य देवेंद्रनाथ शर्मा और आचार्य नलिन विलोचन शर्मा जैसे पंडितों से साहित्य का ककहरा सीखा था।अगले चार दशक तक छात्रों को हिंदी साहित्य का मतलब समझाया। रामधारी सिंह दिनकर के पौत्र अरविंद सिंह ने बताया कि निराला रचनावली, कृति से साक्षात्कार, मुक्ति बोध ज्ञान और संवेदना उनकी अमर कृतियां हैं।
मंगलवार को हुआ निधन
हिंदी साहित्य के वरिष्ठ आलोचक डॉ. नंदकिशोर नवल का 83 वर्ष की उम्र में मंगलवार की रात पटना के निजी अस्पताल में निधन हो गया। वे 30 अप्रैल को घर में फिसलकर गिर गए थे। अस्पताल में भर्ती होने के दौरान ही उन्हें निमोनिया हो गया था, जिसके बाद उनकी स्थिति बिगड़ती चली गई। वैशाली के चांदपुरा में दो सितंबर 1937 को जन्मे नंदकिशोर नवल के परिवार में पत्नी, पुत्र चिंतन और बेटी पूर्वा हैं।