बिहार में अब लालू-राबड़ी अगरबत्ती से होगी पूजा! तेज प्रताप यादव ने शुरू किया यह नया कारोबार
राजद नेता तेजप्रताप यादव ने पटना एवं दानापुर स्थित अपनी गोशाला में अगरबत्ती निर्माण शुरू कराया है। इन्हें बेचने के लिए खटाल में ही शोरूम भी बनाया गया है। इसमें एक ब्रांड एलआर है। नाम कुछ और है लेकिन समर्थक इसे लालू-राबड़ी अगरबत्ती कह रहे हैं।
पटना, ऑनलाइन डेस्क। राजद नेता तेजप्रताप यादव (RJD Leader Tej Pratap Yadav) हमेशा सुर्खियोंं में रहते हैं। इस बार उन्होंने कुछ अलग किया है। लेकिन यह भी किसी मायने में कम नहीं। अब उन्होंने फूलों की अगरबत्ती का कारोबार शुरू किया है। खास बात यह है कि कई ब्रांड के अगरबत्तियों में एक LR अगरबत्ती भी है। वैसे तो इसे लांगेस्ट एंंड रिचर (Longest and Richer) है, लेकिन समर्थक इसे लालू-राबड़ी अगरबत्ती कह रहे हैं। इस अगरबत्ती को बेचने के लिए बकायदा शो-रूम बनाया गया है। खास बात यह कि शो रूम किसी बड़ी बिल्डिंग में नहीं, बल्कि पटना और दानापुर के लालू खटाल में है। लालू खटाल में लालू प्रसाद की गायें और भैंस रखी जाती हैं। तेज प्रताप अपने इस नए स्टार्ट-अप में बाबा रामदेव की तरह अन्य स्वदेशी हर्बल उत्पाद भी बना रहे हैं। इस तरह वे बिहार में बाबा रामदेव के लिए अपने उत्पादों से चुनौती खड़ी करते दिखें तो आश्चर्य नहीं। फूलों से बनती है अगरबत्तियां
अगरबत्ती का निर्माण इसी खटाल में ही होता है। इसके बाद उन्हें शो रूम में रखा जाता है। तेजप्रताप भी कभी-कभार यहां आते हैं। लेकिन यहां की स्थिति निगरानी वे मोबाइल से करते रहते हैं। मंदिरों में चढ़ाए गए फूलों को एकत्र कर उनसे अगरबत्ती बनाई जाती है। इसकी लकड़ी बांस की नहीं बल्कि नारियल के पत्ते की लकड़ियां होती हैं। कहा जाता है कि इन अगरबत्तियों में किसी रसायन का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। बता दें कि यहां अलग-अलग खुशबू की अगरबत्ती तैयार होती है। इनका नाम कृष्ण लीला अगरबत्ती, बरसाना, सेवा कुंज आदि हैं। शो रूम में पूजा-पाठ से जुड़े अन्य सामान भी बिकते हैं।
(खटाल में स्थित शो रूम का अंदरुनी हिस्सा।)
खटाल में शो रूम लेकिन नजारा मंदिर सा
कहने को तो यह शो रूम में खटाल में बना है। लेकिन इसकी भव्यता कहीं कम नहीं दिखती। शो रूम में हमेशा माहौल भक्तिमय बना रहता है। खटाल में बने शो रूम में राजद का चुनाव चिह्न लालटेन नजर आता है तो गाय और बछड़े की मूर्ति भी। राधाकृष्ण तो उनके आराध्य हैं इसलिए उनकी भी दिव्य मूर्ति रखी है। बता दें कि तेजप्रताप यादव पूरी तरह कृष्ण भक्ति में लीन रहते हैं। माथे पर त्रिपुंड, गले में माला पहने हुए वे सार्वजनिक जगहों पर नजर आते हैं। अक्सर वृंदावन की गलियों में घूमते उनकी तस्वीरें आती हैं। भक्ति में रमे तेजप्रताप खुद को कृष्ण तो अपने छोटे भाई तेजस्वी को अर्जुन बताते हैं।