सावन की अंतिम सोमवारी पर बना प्रीति एवं रवि योग, मनोकामना पूर्ति के लिए इस समय करें पूजा
सावन की अंतिम सोमवारी पर शिवभक्तों का उत्साह देखते ही बन रहा है। सुबह से ही बाबा का जलाभिषेक करने वालों की कतार लगी है। ज्योतिष आचार्य की मानें तो शुभ मुहूर्त में पूजा करने से देवाधिदेव मनोकामना पूरी करते हैं।
पटना, जागरण संवाददाता। Sawan Somwari 2022: भगवान शिव के प्रिय मास सावन की अंतिम सोमवारी पर शिवालयों में भक्तों की कतार लगी है। अलसुबह से ही मंदिरों में घंटियों की आवाज के साथ हर-हर महादेव की जयघोष हो रही है। लोग शिवभक्ति में डूबे हैं। सावन 14 जुलाई से आरंभ हुआ था। यह 12 अगस्त को समाप्त हो जाएगा। इस बार सावन मास में चार सोमवार पड़े। सावन माह की आखिरी सोमवारी पर आठ अगस्त को ग्रह-गोचरों का शुभ संयोग में महादेव का जलाभिषेक होने के साथ पूजा अर्चना की जा रही है।
पुत्रदा एकादशी व्रत का विशेष महात्म्य
ज्योतिष आचार्य पंडित राकेश झा की मानें तो सावन की अंतिम सोमवारी पर पुत्रदा एकादशी का व्रत श्रद्धालु करेंगे। वहीं अंतिम सोमवारी पर पूर्वाषाढ़ व उत्तराषाढ़ नक्षत्र के साथ प्रीति योग व रवियोग में भगवान शिव की पूजा अर्चना श्रद्धालु करेंगे। सावन माह के अंतिम सोमवार के दिन शिव भक्त भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा अर्चना करने के साथ शिव के प्रिय नंदी की पूजा अर्चना कर अपनी मनोकामना को नंदी के कान में अपने मन की बात कहने में लगे हैं। मान्यता है कि शिव की पूजा के बाद नंदी की पूजा जरूर करनी चाहिए। ऐसा नहीं करने से पूजा अधूरी मानी जाती है। नंदी पुरुषार्थ का प्रतीक है। सावन माह में भगवान शिव के सारे परिवार व गणों की पूजा करनी चाहिए। भगवान शिव को गंगाजल, दूध, दही, मधु, पंचामृत, भस्म, चंदन, बेलपत्र, धतूरा, समी पत्र, ऋतुफल, भांग अर्पित कर श्रद्धालु उन्हें प्रसन्न करेंगे।
पूजन के शुभ मुहूर्त
- सुबह 8.39 बजे से 10.16 बजे तक अभिजीत मुहूर्त
- दोपहर 11:28 बजे से 12:20 बजे तकगुली काल मुहूर्त
- दोपहर 01:31 बजे से शाम 03:08 बजे तक प्रदोष काल में पूजा का शुभ मुहूर्त
- शाम 06 :26 बजे से रात्रि 07 :46 बजे तक
इन मंत्रों से करे शिव की पूजा
- शिव पंचाक्षरी मंत्र:- ऊँ नम: शिवाय
- शिव गायत्री मंत्र:- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्
- लघु मृत्युंजय मंत्र: ॐ जूं सः