बदली परंपरा: शवयात्रा में शामिल हुईं महिलाएं, बेटी ने दी मां को मुखाग्नि
सामाजिक मान्यताओं को बदलने की एक कोशिश करते हुए नवादा जिले के मिर्जापुर मुहल्ले में महिलाओं ने एक मृतका की शवयात्रा को कंधा दिया और मृतका की बेटी ने मां को मुखाग्नि दी।
पटना [जेएनएन]। सामाजिक मान्यताओं से अलग हटकर नवादा जिले के मिर्जापुर मुहल्ले की महिलाओं ने न सिर्फ शव यात्रा में शामिल होकर अर्थी को कंधा दिया बल्कि मृतका की बेटी ने ही अपनी मां को मुखाग्नि देकर उनका अंतिम संस्कार किया। बता दें कि नवादा जिले में सुनील कुमार की 75 साल की पत्नी शांति देवी का शुक्रवार को निधन हुआ था।
निधन के बाद उनकी बड़ी बेटी गीता देवी, छोटी बेटी इंदु देवी, नतिनी सुधा कुमारी, अनुराधा कुमारी, नीलम कुमारी, नीलू कुमारी, छोटी कुमारी के अलावा बड़ी संख्या में महिलाओं ने अर्थी को कंधा देकर श्मशान घाट तक पहुंचाया। इस दौरान अर्थी को घर से श्मशान घाट तक ले जाने के क्रम में जीना- मरना सत्य है का नारा लगाया गया । श्मसान घाट पर पहुंची महिलाओं ने पुरुषों के साथ मिलकर चिता को भी सजाया ।
रूढ़िवादी परंपरा को बदलने की कोशिश कर रहे लोग
अर्जक विधि से किए गए अंतिम संस्कार के दौरान उपस्थित अर्जक संघ सांस्कृतिक समिति के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुमार पथिक ने बताया कि सदियों से चली आ रही रुढ़ीवादी व्यवस्था को समाप्त करने में मिर्जापुर की महिलाओं ने भी अहम भूमिका निभाई है ।
समाज में लड़का और लड़की में चले आ रही भेद भाव को मिटाने, नारियों को आगे बढ़ाने, नुकसान देने वाली व्यवस्था को हटाकर मानववादी व्यवस्था स्थापित करने के उद्देश्य से ही अर्जक संघ द्वारा महिलाओं द्वारा अर्थी को कंधा देने की परंपरा शुरू की गयी है।