तीन साल के लिए नियुक्त महिला डाक्टर को भी मिलेगा मातृत्व अवकाश, कोर्ट के निर्देश के बाद सरकार ने लिया फैसला
प्रदेश में डाक्टरों की कमी को दूर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर विभिन्न मेडिकल कालेज व अस्पताल के साथ अन्य अस्पतालों में तीन वर्ष के टेन्योर पर पुरुषों के साथ महिला डाक्टर भी तैनात हैं।
पटना, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में डाक्टरों की कमी को दूर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर विभिन्न मेडिकल कालेज व अस्पताल के साथ अन्य अस्पतालों में तीन वर्ष के टेन्योर पर पुरुषों के साथ महिला डाक्टर भी तैनात हैं। तीन वर्ष की सेवा में तैनात इन डाक्टरों को भी सरकार ने अन्य डाक्टरों की भांति मातृत्व अवकाश का लाभ देने का फैसला किया है।
स्वास्थ्य विभाग ने इस संबंध में निर्णय ले लिया है और फैसले का संकल्प भी जारी कर दिया गया है। प्रदेश में डाक्टरों की काफी कमी है, जिसे दूर करने के इरादे से कोविड काल के बीच सरकार ने प्रदेश के मेडिकल कालेज व अस्पताल से पीजी डिप्लोमा करने वाले विद्यार्थियों को अनिवार्य रूप से कम से कम तीन वर्ष की सेवा प्रदेश में देने की व्यवस्था बनाई है।
पीजी व डिप्लोमा करने वाले मेडिकल छात्रों से सरकार बकायदा बांड पेपर हस्ताक्षरित कराती है। तीन वर्ष की सेवा के एवज में रेजिडेंट और सीनियर रेजिडेंट के पद पर तैनात डाक्टरों को बकायदा मानदेय का भुगतान भी होता है।
तीन वर्ष के टेन्योर पद पर तैनात महिला डाक्टरों की मांग थी कि उन्हें भी अन्य सरकारी डाक्टरों की भांति 180 दिनों का मातृत्व अवकाश दिया जाए। उनकी इस मांग पर पटना हाई कोर्ट से भी सरकार को निर्देश दिया गया था।
उसके बाद सरकार ने तीन वर्ष के टेन्योर पद पर तैनात महिला डाक्टरों को 180 दिनों का मातृत्व अवकाश देने का फैसला किया है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार मातृत्व अवकाश की अवधि के रूप में उपभोगित अवधि की गणना उनके कार्य अनुभव के रूप में होगी।
180 दिनों की अवधि को विस्तारित नहीं किया जा सकेगा। यह अवकाश बिना वेतन या मानदेय के नहीं होगा, बल्कि सरकार इस अवधि के लिए भी निर्धारित मानदेय का भुगतान भी करेगी।