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शुद्ध सत्तू तैयार कर महिलाएं हो रहीं स्वावलंबी

फोटो- 22 नारी सशक्तीकरण ------------ -हाथ की चक्की (जांता) से तैयार सत्तू साधारण पैकिंग में भी खूब बिक रही स्टार्टअप विलेज एंटरप्रेन्योरशिप प्रोग्राम से हो रहा संभव ---------- -25 महिलाओं को दिया गया प्रशिक्षण -16 प्रतिशत प्रोटीन पटना के लैब में कराई गई जांच -180 रुपये प्रति किलो बाजार में हो रही बिक्री -----------

By JagranEdited By: Published: Wed, 09 Oct 2019 09:19 PM (IST)Updated: Thu, 10 Oct 2019 06:28 AM (IST)
शुद्ध सत्तू तैयार कर महिलाएं हो रहीं स्वावलंबी
शुद्ध सत्तू तैयार कर महिलाएं हो रहीं स्वावलंबी

विनय कुमार मिश्र, बोधगया

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जीविका ने महिलाओं के स्वावलंबन के नए-नए आयाम तैयार किए हैं। प्रशिक्षण प्राप्त कर महिलाएं हुनरमंद होकर स्वरोजगार से खुशहाल हैं।

ऐसा ही महिलाओं का एक समूह बोधगया में है। परंपरागत और घरेलू तरीके से गुणवत्ता युक्त सत्तू तैयार कर रही हैं। हाथ की चक्की (जांता) से पीसने के बाद साधारण पैकिंग में भी वह सत्तू लोगों को खूब पसंद आ रहा है। इस कारोबार से महिलाओं की गृहस्थी भी धन-धान्य व संपन्न हो रही है। यह सब जीविका में चल रहे स्टार्टअप विलेज एंटरप्रेन्योरशिप प्रोग्राम से संभव हो रहा है।

इसके तहत महिला समूह को उद्यमी बनाकर स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण, वित्तीय व तकनीकी सहयोग प्रदान किया जाता है। साथ ही उनके द्वारा उत्पादित वस्तु को प्रारंभिक चरण में बाजार भी मुहैया कराया जाता है। लागत और आय की राशि मिलने पर कुछ दिन बाद स्वयं ही समूह की महिलाएं बाजार ढूंढ़ती हैं।

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जिले का पहला सत्तू उत्पादन केंद्र

प्रोग्राम के तहत बोधगया प्रखंड के मोरामर्दाना पंचायत के सुदूरव‌र्त्ती गांव खरौना में जय मां संतोषी समूह से जुड़ी 25 महिलाओं को सत्तू उत्पादन का प्रशिक्षण दिया गया। महिलाओं को दो दिवसीय प्रशिक्षण बिहटा से आए प्रशिक्षक ने दिया। उसके बाद कुछ महिलाएं समूह से राशि लेकर इस कार्य को प्रारंभ की तो कुछेक निजी पैसे से। चने की खरीदारी कर परंपरागत तरीके से भूजना और फिर दो हाथ की चक्की से उसे तैयार करना शुरू किया।

समूह की संजू देवी और बिंदा देवी कहती हैं, एक चक्की से पहले चने के छिलके निकाले जाते हैं। उसके बाद दूसरी चक्की में पीसकर तैयार किया जाता है। सत्तू तैयार होने के बाद वजन कर जीविका के रैपर में मशीन के माध्यम से पैक किया जाता है। यह जीविका के पहले समूह द्वारा जिले में सत्तू उत्पादन किया जा रहा है।

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गुणवत्ता युक्त सत्तू

माइक्रो इंटरप्राइजेज कंस्लटेंट एंड मार्केटिंग एजेंसी बोधगया के अध्यक्ष मिथिलेश कुमार कहते हैं, गुणवत्ता के लिए महिलाओं द्वारा तैयार सत्तू को पटना के लैब में जांच कराई गई। जांच में महिलाओं द्वारा तैयार सत्तू में 16 प्रतिशत प्रोटीन पाए गए। उसके बाद उसे जीविका का रैपर मिला। इसमें पैक कर बाजार तक पहुंचाया गया है। महिलाओं द्वारा तैयार सत्तू का बाजार भाव 180 रुपये प्रति किलोग्राम है। सत्तू बोधगया के कुछ होटल और दोमुहान के पास की दुकानों में फिलहाल आपूर्ति की जा रही है। ऑर्डर मिलने पर उत्पादन में वृद्धि भी संभावित है।

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प्रति सप्ताह 10 किग्रा

तैयार होता है सत्तू

समूह की एक महिला द्वारा प्रति सप्ताह 10 किग्रा सत्तू तैयार किया जाता है। इस कार्य में फिलहाल 15 से 20 प्रशिक्षण प्राप्त महिलाएं लगी हैं। तैयार सत्तू को जीविका के सदस्य द्वारा उठाव कर बाजार तक पहुंचाया जाता है। इसके एवज में महिलाओं को लागत और आय की राशि पहले ही मुहैया करा दी जाती है ताकि पूंजी के अभाव में कार्य न बंद हो।

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सरस मेले की हो रही तैयारी

महिलाओं द्वारा तैयार सामग्री के प्रचार-प्रसार और बाजार के लिए पटना में राज्यस्तरीय सरस मेला लगाया जाता है। इसमें जीविका से जुड़ी महिलाओं द्वारा सामग्री का स्टॉल लगाकर प्रचार-प्रसार किया जाता है। गया जिले से 10 उत्पाद का चयन किया गया है। इसमें सत्तू भी शामिल है। महिलाएं सरस मेले की तैयारी में उत्साहित होकर जुटी हैं। संजू देवी और बिंदा देवी कहती हैं, समूह से जुड़ने पर गांव की महिलाओं में न सिर्फ जागरुकता आई है, बल्कि स्वावलंबी और आत्मबल भी। आपात स्थिति में आर्थिक मदद भी मिल जाती है।


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