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बिहार की राजनीति क्या फिर दिखाएगी 2017 जैसे हालात, तब नीतीश ने अचानक फैसला ले सभी को था चौंकाया

ताजा हालात कुछ-कुछ 2017 जैसे ही हैं। लाेगों के सामने सवाल सिर्फ एक है प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का अगला कदम क्या होगा। 2017 काे यहां याद करना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि आज के हालात कुछ वैसे ही हैं।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Mon, 08 Aug 2022 10:52 PM (IST)Updated: Tue, 09 Aug 2022 09:57 AM (IST)
बिहार की राजनीति क्या फिर दिखाएगी 2017 जैसे हालात, तब नीतीश ने अचानक फैसला ले सभी को था चौंकाया
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीस कुमार। जागरण आर्काइव।

राज्य ब्यूरो, पटना : महज पांच वर्ष बाद बिहार की राजनीति एक बार फिर करवट लेती दिख रही है। ताजा हालात कुछ-कुछ  2017 जैसे ही हैं। फिलहाल सबकुछ कयास के स्तर पर है। कल होगा क्या कयास इसी बात को लेकर हैं। लाेगों के सामने सवाल सिर्फ एक है प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का अगला कदम क्या होगा। क्या वे 2017 को वापस दोहराएंगे या फिर बिहार की राजनीति की कहानी में कोई नया पन्ना जुड़ेगा। 2017 काे यहां याद करना इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि आज के हालात कुछ वैसे ही हैं। 2017 में एक दिन नीतीश कुमार ने अचानक ही मन बना लिया और  राजभवन जाकर इस्तीफा सौंप दिया था। उस वक्त जदयू बिहार के महागठबंधन का हिस्सा थी। उस  गठबंधन में जदयू के साथ  राजद, कांग्रेस  जैसे दल थे। सरकार ने 2017 में अपना दो वर्ष का कार्यकाल भी  करीब-करीब पूरा कर लिया था। तेजस्वी उस सरकार में उप मुख्यमंत्री   थे। जबिक लालू प्रसाद के बड़े पुत्र तेज प्रताप मंत्री। 

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सीबीआइ ने रेलवे टेंडर घोटाले में शुरू की थी जांच

सरकार ठीक तरह से चल रही थी, लेकिन अचानक एक दिन सीबीआइ ने रेलवे टेंडर घोटाले में अपनी जांच शुरू कर दी। इस मामले में  तेजस्वी जो उप  मुख्यमंत्री थे उनका नाम भी उछला। नीतीश कुमार को यह बात नागवार गुजरी थी। लिहाजा उन्होंने तेजस्वी यादव से कहा उन्हें जनता के बीच जाकर अपना पक्ष रखना चाहिए और वस्तुस्थिति से अवगत कराना चाहिए। तेजस्वी और लालू परिवार इसके लिए कतई तैयार नहीं था। 

नीतीश तेजस्वी को समझाने में रहे नाकामयाब 

तेजस्वी पर लगातार का दबाव भी निरर्थक जा रहा था। जब नीतीश कुमार तेजस्वी को समझाने में नाकामयाब रहे तो उन्होंने राजभवन जाकर अपना  इस्तीफा सौंप दिया। इसके साथ ही मंत्रिमंडल खुद ब खुद भंग हो गया। नीतीश कुमार का यह फैसला चौंकाने वाला था। बहरहाल महागठबंधन से अलग होने के बाद नीतीश कुमार ने भाजपा के समर्थन से सरकार बनाई। उस सरकार ने अपना कार्यकाल भी पूरा किया। राज्य में अब एक बार फिर वैसे ही हालात दिख रहे हैं। राजग के दो मजबूत दलों के अंदर जो गांठे हैं वे नजर आने लगी हैं। लिहाजा राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदलने शुरू हो गए हैं। लोग देख रहे हैं कि नीतीश कुमार का अगला कदम क्या होगा? वे 2017 की कहानी दोहराएंगे या फिर इस बार कोई नई कहानी ही  बिहार की राजनीति में लिखी जाएगी।


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