अब बिहार के लौंगी भूईंया के लिए पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने राष्ट्रपति पुरस्कार की मांग की
खेतों की सिंचाई के लिए 20 सालों में हाथ से खोदकर बना दी पांच किमी लंबी पईन। आनंद महिंद्रा ने ट्रैक्टर देने की घोषणा की। जानिए लौंगी भुईंया की जिद जुनून और जज्बे की अनोखी कहानी।
पटना/ गया, जेएनएन। गया जिले के इमामगंज प्रखंड के बांके बाजार सीमा पर अवस्थित लुटुआ पंचायत के कोठीलवा गांव में आज खुशी की लहर है। यहां के लौंगी भूईंया की 20 सालों की मेहनत रंग जो लाई है। शनिवार को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हम प्रमुख जीतन राम मांझी लाैंगी भूईंया के गांव पहुंचे। उन्होंने घोषणा की कि लौंगी भूईंया के लिए वे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करेंगे और राष्ट्रपति पुरस्कार की मांग करेंगे। लौंगी के जिद और जुनून की कहानी से प्रेरित होकर आज ही शनिवार को आनंद महिंद्रा ने उन्हें ट्रैक्टर देने की घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि लौंगी भूईंया को ट्रैक्टर देकर उन्हें गर्व महसूस होगा। इसके बाद जीतन राम मांझी भी आज लौंगी से मिलने उनके गांव पहुंचे। उन्होंने ग्रामीणों की मांग पर गांव के स्कूल, अस्पताल और सड़क का नाम लौंगी भूईंया के नाम पर कराने की बात कहीं।
बता दें कि लौंगी ने खेतों की सिंचाई के लिए करीब 20 वर्षों में अकेले ही पांच किलोमीटर लंबी पईन खोदकर तैयार कर दी। उनकी जिद है कि आगे के पहाड़ अभी और खोदना है। उन्होंने अपनी पत्नी से कहा था कि आगे कुछ आगे पहाड़ है, जिसके लिए जेसीबी की जरूरत पड़ेगी। अब उनके शरीर में और ताकत नहीं है, लेकिन जैसे भी हो खोदाई कराकर ही रहेंगे।
स्कूल, अस्पताल और सड़क भी लौंगी के नाम
जीतन राम मांझी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लौंगी भुईयां के नाम पर अस्पताल और लुटुआ से शंकरपुर तक बनने वाली सड़क का नाम भी लौंगी पथ रखने के लिए बात करेंगे। इसके अलावा इस गांव के विद्यालय का नाम लौंगी भूईयां के नाम पर कराने का काम भी करूंगा।
उन्होंने कहा कि दशरथ मांझी ने जब पहाड़ काटकर सड़क बना दी तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें अपनी कुर्सी पर बैठाकर एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बना दिया था। आज दशरथ मांझी नहीं रहे। वे अपने कर्मो से अमर हैं। आज उनके कारण वह स्थान पहाड़ से पर्यटक स्थल बन गया। वहां उनके नाम से हर चीज खुल रही है। कहा कि जो पईन में जो काम छूट गया है। उसे वह पूरा कराएंगे।
अब वाटनमैन कहलाने लगे
पहले लोग लौंगी को कहते थे कि पगला गया है। अब वाटरमैन कहने लगे हैं। लौंगी भुइंया अपने ही गांव में 5 किलोमीटर पईन खोदकर चर्चा का विषय में बने हुए हैं। लौंगी के पास अपनी खेती लायक मात्र एक एकड़ जमीन है। वहीं उनका पैतृक आवास भी है। उन्होंने पईन खोदकर न सिर्फ अपनी बल्कि अन्य ग्रामीणों के खेतों तक भी सिंचाई के लिए पानी पहुंचाया है। लौगी भूईया के घर में धर्मपत्नी रामरती देवी सहित चार बच्चे भी हैं । पुत्र रमेश मांझी (35), ब्रह्मदेव मांझी (33), नीरज कुमार (31) वर्ष और लालू भुइंया (28) हैं । सभी बेटों की शादी हो गई है। वे अपने जीवन यापन के लिए सासाराम में काम करते हैं।
दशरथ मांझी के नक्शे कदम पर चल पड़े
जोश, जज्बे और जुनून के प्रतीक बन चुके पर्वतपुरुष दशरथ मांझी की तरह ही लौंगी भूईंया की करीब 20 वर्षों की मेहनत रंग लाई और अब पांच किलोमीटर लंबी पइन खेत सींचने को लगभग तैयार है। दशरथ मांझी ने 1960 के दशक में अकेले दम पर पहाड़ काटना शुरू किया और करीब बीस वर्षों में दो सौ मीटर लंबा रास्ता बना दिया। लौंगी भुईंया ने भी बीस वर्षों में इमामगंज और बांकेबाजार प्रखंड की सीमा पर पांच किलोमीटर लंबी, चार फीट चौड़ी व तीन फीट गहरी पईन खोद डाली।
युवाओं के पलायन से दुखी थे
लौंगी बताते हैं कि यहां के लोग शादी के बाद घर छोड़कर मजदूरी करने बाहर चले जाते थे। सिंचाई का साधन होता तो लोग अच्छी खेती कर सकते थे। यह बात उनके दिमाग में घूम रही थी। वे जंगल में रोज पशुओं को चराने ले जाते थे। उन्होंने देखा कि एक जगह सारे पशु पानी पीने जाते हैं। वहां पर जलस्रोत था, पानी यूं ही बह रहा था। बस यहीं से पइन खोदने का विचार दिमाग में आ गया। वे दूसरे दिन से ही हाथों में कुदाल, खंती व टांगी लेकर निकल पड़े।
लोग कहते थे लौंगिया पगला गया है
खोदाई शुरू की तो लोग हंसने लगे कि लौंगिया पगला गया है। लेकिन उन्होंने अपना काम जारी रखा। आज करीब पांच किलोमीटर लंबी पइन बन चुकी है। उनके कार्य को देख जलछाजन विभाग के अधिकारियों ने एक बड़ी मेड़ बनवा दी है, जिसका नाम लौंगी आहर रखा है। थोड़ी खोदाई और बाकी है। इसके पूरा होते ही पांच सौ एकड़ से अधिक खेतों में सिंचाई हो सकेगी। 65 साल के हो चुके लौंगी की पत्नी रामरती देवी ने उन्हें कभी रोका-टोका नहीं।
गया में इमामगंज के प्रखंड विकास पदाधिकारी जयकिशन ने कहा कि लौंगी भुईंया ने कड़ी मेहनत कर नि:स्वार्थ भाव से सिंचाई के लिए पईन की खोदाई की है। यह देखने लायक है। इस पईन का नाम लौंगी रखा गया है।