सितारों के आगे जहां और भी है, बस जरूरत है महसूस करने की
ब्रह्माड के रहस्यों से पर्दा उठाने वाले महान वैज्ञानिक स्टीफ हॉकिन्स का मानना था कि ईश््वर ने इस दुनिया को नहीं बनाया बल्कि यह दुनिया खुद-ब खुद बनी है। इसके लिए उन्होंने खोज भी शुरू कर दी थी। उनका मानना था कि विज्ञान का काम काम जीवन को बचाना है न कि लेना।
पटना [स्पेशल डेस्क]। ब्रह्माड के रहस्यों से पर्दा उठाने वाले महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग अब दुनिया में नहीं रहे। वे सितारों से आगे दूसरी दुनिया बसाने की जुगत में थे। उनके इस मिशन पर दुनिया भर के वैज्ञानिक काम कर रहे। इसी में राजधानी पटना के युवा और बाल वैज्ञानिक भी शामिल हैं।
ब्लैक होल, बिग बैंग थ्योरी और डार्क मैटर जैसे दिलचस्प विषय पर काम करने वाले महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग की उपलब्धि शहर के विज्ञान छात्रों को भी आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रही है। वे भी विज्ञान को कुछ ऐसा देना चाहते हैं, जिससे दुनिया उनको याद करे। राजधानी पटना के ये विज्ञान के विद्यार्थी भले ही स्टीफन हॉकिंग से कभी न मिले हों मगर वे उनके बेहद करीब हैं। विज्ञान को दी हुई उनकी अनोखी खोज छात्रों को आकर्षित करती है। छात्रों को हॉकिंग का व्यक्तित्व बहुत प्रभावित करता है। अपगता के शिकार स्टीफन हॉकिंग की इच्छाशक्ति छात्रों को प्रोत्साहित करती है।
उम्र को पीछे छोड़ जाते हैं ये बाल वैज्ञानिक
सर, स्टीफन हॉकिंग की तरह मैं भी कुछ नायाब खोज करना चाहता हूं जिससे लोगों का जीवन आसान हो सके। पर्यावरण को बचाना इस समय बड़ी समस्या है। बहुत जगह लोग पानी के लिए भी तरस रहे हैं। मैं कुछ ऐसी खोज करना चाहता हूं कि जिससे पर्यावरण को होने वाले नुकसान से लोगों को बचाया जा सके। उपयोग या अनुपयोग जल को ज्यादा बचाया जा सके। महज छठी क्लास के चैतन्य के मुंह से लोकहित की बात सुनकर किसी को भी थोड़ी हैरानी होती है। मगर आगे वे जो कहते हैं, इससे विश्वास नहीं होता वे महज छठी क्लास के छात्र हैं। वे कहते हैं, मुझे लगता है सोलर एनर्जी के अलावा इस ब्रह्मांड में और भी ऊर्जा के विकल्प हैं। मुझे उनकी तलाश करनी है। बीडी पब्लिक स्कूल के दसवीं कक्षा के छात्र आयुष रंजन बताते हैं, स्टीफन हॉकिंग से काफी प्रेरणा मिलती है। उन्होंने दुनिया को बताया कि यह ब्रह्मांड ईश्वर की रचना नहीं, बल्कि एक छोटे परमाणु से बना है। रिसर्च के क्षेत्र में आज काफी काम करने की जरूरत है।
ताकि डंपयार्ड बन सके खूबसूरत पार्क
पटना विश्वविद्यालय के एमएससी के भी कुछ छात्र-छात्राएं श्रीकृष्ण विज्ञान केंद्र में रिसर्च में जुटे हैं। आशुतोष बताते हैं, हॉकिंग एक ऐसे मजेदार विषय पर काम कर रहे थे जिससे साइंस की परिभाषा ही बदल जाती। वे इन दिनों स्पीड एंड टाइम थ्योरी पर शोध में जुटे थे। उनका मानना था कि यदि 'स्पीड' को बहुत अधिक बढ़ा दिया जाए तो 'टाइम' को स्लो किया जा सकता है। वे आगे बताते हैं, मैं भी हॉकिंग की तरह ऐसी खोज करना चाहता हूं, जो मानवता के हित में हो। माइक्रो ऑर्गेनिज्म की मदद से कचरे से सनी जगह को खूबसूरत पार्क में बदला जा सकता है।
ऑटोमेटिक गन बनाने का सपना
बीडी पब्लिक स्कूल के दसवीं कक्षा के छात्र हिमाशु बताते हैं, हॉकिंग पूरी तरह से अपग थे। सिर्फ आख के इशारे से कंप्यूटर स्क्रीन सचालित करते थे। जब वे जीवन में अप्रत्याशित सफलता हासिल कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं? मैं ऐसा ऑटोमेटिक गन बनाना चाह रहा हूं जिससे दूर से रिमोट कंट्रोल की मदद से चलाया जा सके। यदि ऐसा हो पाया तो युद्ध में कम से कम जवान अपनी जान गवाएंगे। विज्ञान का काम मनुष्य का जीवन बचाना भी है।
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श्रीकृष्ण विज्ञान केंद्र में विज्ञान की पढ़ाई का प्रैक्टिल अनुभव कराने के लिए खास व्यवस्था है। किताब में जो पाठ उन्हें बोझिल लगता है, वही यहा आकर व्यावहारिक रूप में देखने से आसान लगने लगता है। हमारा उद्देश्य है बिहार के छात्रों में विज्ञान के प्रति रुचि जगे।
राम स्वरूप, सग्रह अध्यक्ष, श्रीकृष्ण विज्ञान केंद्र