हैरान करने वाला मौसम का पूर्वानुमान, परेशानी में किसान
पटना। मौसम विभाग का पूर्वानुमान हैरान करने वाला है।
पटना। मौसम विभाग का पूर्वानुमान हैरान करने वाला है। जून से ही बारिश की संभावना के विपरीत वास्तविक वर्षा हुई। शुक्र है कि जुलाई में औसत से कुछ अधिक बारिश पटना, नालंदा, भोजपुर, बक्सर, कैमूर और रोहतास जिले में हुई। इसके कारण धान की रोपनी हो सकी।
खरीफ फसल सीजन में जून से वर्षा में विचलन होता आ रहा है। धान का बिचड़ा लगाने के वक्त जून में औसत से करीब 46 फीसद कम वर्षा रिकॉर्ड की गई। जुलाई में पटना जिले में 255 एमएम औसत बारिश की संभावना थी। इसके विपरीत 16 प्रतिशत अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई। इसी तरह नालंदा में 32, भोजपुर में 27, बक्सर में 30, रोहतास में 54 और कैमूर जिले में 32 प्रतिशत अधिक बारिश हुई। जून में कमी की भरपाई हुई नहीं और अगस्त में मौसम ने किसानों को दगा दे दिया।
पटना प्रमंडल क्षेत्र में अगस्त में औसत से कम बारिश के कारण सूखे की स्थिति उत्पन्न हो गई। पटना जिले में औसत 281 एमएम बारिश का पूर्वानुमान था लेकिन 33 फीसद कम मात्र 188 एमएम हुई। नालंदा में 27 प्रतिशत, भोजपुर में 31 प्रतिशत, बक्सर में 38 फीसद, रोहतास में 36 और कैमूर जिले में 3.25 एमएम कम बारिश हुई।
सितंबर में अब तक पूरे पटना प्रमंडल में औसत से 32.76 प्रतिशत कम बारिश हुई है। बारिश में सर्वाधिक कमी रोहतास में 67 प्रतिशत, कैमूर में 56 फीसद, नालंदा में 49 प्रतिशत, कैमूर में 32 और पटना में 26 फीसद कमी रिकॉर्ड की गई है। सबसे कम विचलन भोजपुर में 3 और बक्सर में 8 प्रतिशत कम आंका गया है।
धान की खेती वाले पटना प्रमंडल में बारिश में कमी से बाहरी सिंचाई की नौबत आ गई है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान पर आश्रित किसानों को निराशा हाथ लगी है। स्थिति यह है कि कैमूर, रोहतास और बक्सर में सोन नहर से सिंचाई के बूते धान को बचाया जा सकता है लेकिन नालंदा और पटना में नलकूप के सिवा कोई विकल्प नहीं बचा है।
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कृषि विभाग बारिश की दैनिक रिपोर्ट के अनुसार फसल के लिए योजना तय करता है। सितंबर तक बारिश की भरपाई नहीं होने पर धान के साथ रबी की फसल पर भी प्रतिकूल असर नहीं पड़े इसलिए डीजल अनुदान राशि का तेजी से वितरण कराने का निर्देश दिया गया है।
- उमेश कुमार चौधरी, संयुक्त निदेशक कृषि
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