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Vivah Panchami 2022: सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग में विवाह पंचमी आज, कुंवारी कन्‍याएं करें सीताराम की पूजा

Vivah Panchami 2022 भगवान राम एवं माता जानकी का विवाहोत्‍सव आज कई शुभ योगों के बीच मनाया जा रहा है। मंदिरों में विशेष तैयारी की जा रही है। पटना के महावीर मंदिर सीतामढ़ी के धनुषा में भक्‍तों की भीड़ लगी है।

By prabhat ranjanEdited By: Vyas ChandraPublished: Mon, 28 Nov 2022 11:31 AM (IST)Updated: Mon, 28 Nov 2022 11:31 AM (IST)
Vivah Panchami 2022: सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग में विवाह पंचमी आज, कुंवारी कन्‍याएं करें सीताराम की पूजा
सवार्थ अमृत सिद्ध‍ि योग में विवाह पंचमी आज। सांकेतिक तस्‍वीर

पटना, जागरण संवाददाता। Vivah Panchami 2022:  अगहन मास की शुक्ल पंचमी 28 नवंबर यानी आज सोमवार को उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के साथ ही वृद्धि योग, रवि व जयद योग के युग्म संयोग में प्रभु श्रीराम और जनक नंदनी जानकी का विवाह का उत्सव विवाह पंचमी मनाया जा रहा है। इस दिन सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग का भी संयोग बना रहेगा।

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  • महावीर मंदिर समेत अन्य मंदिरों में होगी पूजा अर्चना 
  • ब्रह्माजी ने लग्न पत्रिका किया था तैयार 
  • विवाह पंचमी पर शुभ मुहूर्त पर श्रीराम की आई थी बारात 
  • सीता-राम की पूजा के मिलते हैं विशेष फल 

दांपत्‍य जीवन बना रहता है सुखमय

ज्योतिष आचार्य पंडित राकेश झा के अनुसार विवाह पंचमी के दिन प्रभु श्रीराम और मां सीता की पूजा अर्चना करने से दांपत्य जीवन सुखमय होने के साथ सारी बाधाएं दूर होगी। इस दिन महावीर मंदिर समेत शहर के अन्य मंदिरों में विधि विधान के साथ पूजा अर्चना होगी। रामविवाहोत्सव पंचमी पर रामचरित मानस, राम रक्षा स्त्रोत का पाठ व स्तुति करने से पारिवारिक अड़चन दूर होने के साथ आपसी प्रेम प्रगाढ़ होता है।

महिलाएं बरगद के पेड़ में बांधती हैं सूत

माता जानकी के प्राकट्य स्थल सीतामढ़ी के धनुषा में इस मौके पर भव्य मेला आयोजित होता है। इस दिन महिलाएं बरगद के पेड़ में महिलाएं सूत बांधती है। सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए सीताराम की पूजा अर्चना करेंगी। कुंवारी कन्याओं को सीताराम की पूजा से मनचाहा वर की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार स्वयंबर में धनुष तोड़ने के बाद विवाह की सूचना मिलते ही राजा दशरथ भरत, शत्रुघ्न व अपने मंत्रियों के साथ जनकपुरी आ गए।

ग्रह, तिथि, नक्षत्र योग आदि देखकर ब्रह्माजी ने उस पर विचार कर लग्न पत्रिका बनाकर नारदजी के हाथों राजा जनक को पहुंचाई। शुभ मुहूर्त में श्रीराम की बारात आ गई। राम व सीता का विवाह संपन्न होने पर राजा जनक और दशरथ ने एक-दूसरे को प्रसन्तापूर्वक गले लगाए थे ।


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