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आमरण अनशन पर बैठे उपेंद्र कुशवाहा के समर्थन में आई वीआइपी, राज्य सरकार पर लगाया आरोप

बिहार की बिगड़ती शिक्शा व्यवस्था को लेकर रालोसपा अध्यक्श उपेंद्र कुशवाहा आमरण अनशन पर बैठे हैं। उनका साथ महागठबंधन की वीआइपी ने भी दिया है। पार्टी ने बिहार सरकार को संवेदनहीन बताया

By Kajal KumariEdited By: Published: Thu, 28 Nov 2019 09:21 PM (IST)Updated: Thu, 28 Nov 2019 11:37 PM (IST)
आमरण अनशन पर बैठे उपेंद्र कुशवाहा के समर्थन में आई वीआइपी, राज्य सरकार पर लगाया आरोप
आमरण अनशन पर बैठे उपेंद्र कुशवाहा के समर्थन में आई वीआइपी, राज्य सरकार पर लगाया आरोप

पटना, जेएनएन। बिहार में शैक्षणिक कुव्यवस्था के खिलाफ आमरण अनशन पर बैठे उपेंद्र कुशवाहा के समर्थन में महागठबंधन में शामिल वीआइपी पार्टी भी आ गयी है। पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजीव मिश्र ने इसे बिहार सरकार की संवेदनहीनता करार देते हुए कहा है कि प्रदेश की शैक्षणिक कुव्यवस्था जगजाहिर है और इसे बेहतर बनाने के लिए पटना में, देश का एक पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री पिछले चार दिनों से आमरण अनशन पर बैठा है। लेकिन, शिक्षा को लेकर संवेदनहीन बन चुकी राज्य कीएनडीए सरकार को इसकी कोई परवाह नहीं है। यह बेहद दुर्भाग्‍यपूर्ण है।

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राजीव मिश्र ने कहा कि रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा जी अपनी मांगों को लेकर अनशन से पहले सूबे के महामहिम, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से मिलने की गुहार लगा चुके हैं। किसी ने मिलने का समय नहीं दिया तो अंतिम विकल्प के तौर पर वेआमरन अनशण पर बैठ गए। लेकिन, प्रदेश का दुर्भाग्य देखिए कि पिछले चार दिनों से सरकार की ओर से उनकी खोज-खबर लेना किसी ने जरूरी नहीं समझा।

मिश्र ने पूछा कि कोई सरकार आखिर इतनी संवेदनहीन कैसे हो सकती है? प्रदेश में दो और केन्द्रीय विद्यालय खुलें और इसके लिए बिहार सरकार केन्द्रीय विद्यालय संगठन को औरंगाबाद और नवादा में जमीन मुहैया करा दे, आखिर यह कौन सी बड़ी मांग है जिसे बिहार सरकार पूरा नहीं कर सकती है।

उन्‍होंने कहा कि उपेन्द्र कुशवाहा की यह मांग अपने निजी लाभ के लिए तो नहीं है। उपेन्द्र कुशवाहा ने केन्द्रीय शिक्षा राज्य मंत्री रहते हुए पूरे देश भर में 13 केन्द्रीय विद्यालय खोलने की अनुमति दी थी,. जिनमें से दो बिहार में खोले जाने थे, लेकिन राज्य का दुर्भाग्य देखिए कि सरकार ने इसके लिए अभी तक जमीन नहीं दी। उपेन्द्र जी आज भी उसी के लिए संघर्षरत हैं।


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