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जज्बे को सलाम: एेसे मोड़ दी नदी की धारा और बसा दिया मैंगो विलेज, जानिए

37 साल पहले ग्रामीणों ने श्रमदान कर भपसा नदी पर बांध बनाकर नदी की धारा मोड़ दी थी। फिर ग्रामीणों ने एक और नई कहानी लिख दी। 100 एकड़ की रेत पर आम का पेड़ लगा मैंगो विलेज बसा दिया।

By Kajal KumariEdited By: Published: Tue, 10 Jul 2018 05:31 PM (IST)Updated: Wed, 11 Jul 2018 05:21 PM (IST)
जज्बे को सलाम: एेसे मोड़ दी नदी की धारा और बसा दिया मैंगो विलेज, जानिए
जज्बे को सलाम: एेसे मोड़ दी नदी की धारा और बसा दिया मैंगो विलेज, जानिए

पश्चिमी चंपारण [अर्जुन जायसवाल]। यह कहानी बनकटवा गांव के जांबाज ग्रामीणों की है, जिन्होंने 37 साल पहले भपसा नदी की धारा मोडऩे के लिए श्रमदान से बांध बना दिया था। संघर्ष यहीं खत्म नहीं हुआ था, क्योंकि गांव में सिर्फ रेत और बर्बादी बची थी। ऐसे में खेती कैसे होती? लेकिन, ग्रामीणों ने हिम्मत नहीं हारी और बागवानी शुरू की। शुरुआती दौर कष्टदायक था, लेकिन श्रम ईमानदार था। इसलिए सफलता तो मिलनी ही थी।

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आज गांव में हरियाली है और ग्रामीणों में खुशहाली। हर ग्रामीण की सोच कमाई के साथ पर्यावरण संरक्षण। गांव को अब 'मैंगो विलेज' के नाम से बुलाया जाता है। साल में एक किसान की आमदनी न्यूनतम डेढ़ से दो लाख है। पर्यावरण संरक्षण के संदेश के साथ यह गांव समृद्धि की गाथा लिख रहा है। ग्रामीण यहां आनेवाले अतिथि को पौधरोपण की प्रेरणा देते हैं। 

रेत भरे खेत में शुरू की गई बागवानी 

पश्चिम चंपारण जिले के बगहा दो प्रखंड स्थित बनकटवा गांव में पहाड़ी नदी भपसा हर साल बरसात में कहर ढाती थी। ग्रामीणों ने बांध और चैनल बनाकर वर्ष 1981 में नदी का रुख मोड़ दिया। गांव के 100 मीटर पास बहने वाली नदी 1500 मीटर दूर बहने लगी। नदी में समाया सैकड़ों एकड़ खेत निकला तो रेत ही रेत थी। उसमें गन्ना या अन्य फसल की खेती संभव नहीं थी।

 

गांव के जितेंद्र पटवारी बताते हैं कि कई साल तक यह जमीन यूं ही पड़ी रही। फिर भरत लाल प्रसाद ने पौधरोपण का निर्णय लिया। इसके लिए वे बाहर से दोमट मिट्टी लाए और दो-दो फीट के गड्ढे खोदकर आम के करीब 100 पौधे लगाए।

गर्मी के दिनों में पौधों की सुरक्षा में थोड़ी दिक्कत हुई, लेकिन उन्होंने भपसा के पानी से ही सिंचाई कर बचाया। पांच-छह साल बाद इन पर फल आए तो अन्य ग्रामीण भी बागवानी के प्रति आकर्षित हुए। कृषि विभाग ने भी साथ दिया।

 

बागवानी मिशन की जानकारी देने के साथ पौधे भी उपलब्ध कराए। फिर तो क्रांति आ गई। एक-एक कर करीब 100 एकड़ में आम के बाग लग गए। यह सिलसिला अब भी जारी है। प्रेमचंद्र साह ने दो साल पहले एक एकड़ और भरत लाल व किशोर ने एक साल पहले एक-एक एकड़ में बाग लगाया है। इस गांव को बागवानी मिशन ने 'मैंगो विलेज' घोषित किया है। 

यूपी और कोलकाता से आते आम के खरीदार 

गांव के समृद्ध किसान महेंद्र प्रसाद, राजवंशी प्रसाद और किशोर कुमार बताते हैं कि यहां के कई किसानों का करीब 10 से 12 एकड़ का बगीचा है। अधिकतर किसान अपने बगीचे से डेढ़ से दो लाख रुपये सालाना आमदनी कर रहे हैं।

सिर्फ मालदह आम यहां लोगों ने लगाए हैं। अन्य प्रजाति के आम के पौधे नाममात्र के हैं। आम की क्वालिटी इतनी अच्छी होती है कि यूपी और कोलकाता से लेकर नेपाल तक के व्यापारी आते हैं। 

गांव एक नजर 

कुल परिवार : 110 

मतदाता : 500 

बीपीएल परिवार : 60 फीसद 

साक्षरता दर : 65 फीसद 

प्राइमरी स्कूल : एक 

आंगनबाड़ी केंद्र : एक 

कृषि पदाधिकारी नैे कहा-

-बनकटवा के लोगों ने सराहनीय कार्य किया है। बागवानी मिशन की ओर से उन्हें अनुदान भी दिया गया है। अन्य गांव के लोगों को भी प्रेरणा लेनी चाहिए।

-विनय कुमार, कृषि पदाधिकारी, बगहा दो


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