लॉकडाउन में बदला गांव का जीवनः बेटे और पोते दे रहे गुरुमंत्र, स्मार्टफोन से दादाजी हो गए ‘स्मार्ट’
कोरोना वायरस से बचाव को लेकर लगाए गए लॉकडाउन से गांवों का जन-जीवन बदला है। अब स्मार्टफोन की सबकुछ है। जानें कैसे बेटा दादा को सिखा रहा इंटरनेट की बारीकियां।
पटना, जेएनएन। नदवां के उमेश शर्मा गदगद हैं। जब से पोता आर्यन शहर से लौटा है, हर रोज स्मार्टफोन की बारीकियां सिखा रहा। कहते हैं, स्मार्टफोन चलाना सीख गया हूं। प्रधानमंत्री का बैठक खत्म होते ही गांव भर में बता देता हूं कि क्या फैसला हुआ है। ई इंटरनेट सचमुच बहुत काम का चीज है।’ कुछ ऐसा ही हाल धनरुआ, खुसरुपुर, दुल्हिनबाजार के गांवों का भी है।
दिखने लगा बड़ा बदलाव
एक माह से ज्यादा लॉकडाउन की अवधि में गांव के लोगों में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। युवा पीढ़ी के साथ ही अधेड़ व बुजुर्ग भी सोशल मीडिया पर फेसबुक व वाट्सएप के जरिए अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। सरकारी योजनाओं की जानकारी ले रहे हैं।
धनरुआ में बहू-बेटे बता रहे इंटरनेट के फायदे
धनरुआ के नदवां बाजार के उमेश शर्मा ने बताया कि लॉकडाउन के बाद से उनका पोता आर्यन पटना से गांव लौट आया है और इन दिनों स्मार्ट फोन पर खबर पढ़ना बता रहा है। निमड़ा गांव के अर¨वद सिंह बताते हैं कि उनकी बहुएं दिल्ली व पटना से लॉकडाउन के बाद घर आ गईं। दोनों उन्हें सोशल मीडिया के बारे में बता रही हैं। अब उनका भी फेसबुक अकाउंट है। किसान पप्पू सिंह ने बताया कि उनका पोता दिल्ली में था, इन दिनों घर पर है। प्रतिदिन शाम को इंटरनेट की दुनिया से रूबरू करा रहा है।
किसान सहायता और पेंशन राशि कर रहे अपडेट
दुल्हिन बाजार में गांव-गांव वसुधा केंद्र व साइबर कैफे खुल गए हैं। बड़े-बुजुर्ग स्मार्टफोन पर इंटरनेट से जुड़ रहे हैं। उलार-सोरंगपुर के सरपंच रजनीकांत कुमार (24) वृद्ध लोगों को मोबाइल चलाना सिखाते हैं, किसान सहायता व पेंशन राशि को अपडेट करना पंचायत के 70 फीसद लोगों को सिखा दिया है। सोरंगपुर गांव के कामेश्वर साव व्यास ने बताया कि 65 की उम्र में स्मार्ट फोन चलाना सीख रहे हैं। किसान सम्मान योजना की जानकारी उन्हें स्मार्ट फोन पर मिल जाती है। काब गांव के बिजेंद्र सिंह, शिवधार सिंह ने बताया कि फोन पर अब खबरें भी पढ़ लेते हैं।
योजनाओं के साथ देश की गतिविधि पर भी मोबाइल से रख रहे नजरखुसरूपुर प्रखंड के टिलहार गांव के के दर्जनों लड़के पटना में रहकर पढ़ाई करते हैं। लॉकडाउन में अधिसंख्य गांव आ गए हैं। बच्चे फेसबुक व वाट्सएप, इंस्टाग्राम सहित इंटरनेट की बारीकियों से गांव के बुजुर्गो को अवगत करा रहे हैं। ग्रामीणों को ऑनलाइन पेंशन योजना, मिट्टी जांच आदि के आवेदन भरने का प्रशिक्षण दे रहे हैं। गांव के संजीव कुमार, शशिकांत कुमार, रविरंजन आदि युवाओं ने गांव में इंटरनेट से लोगों को वाकिफ करा रहे हैं। किसान कपिलदेव प्रसाद कहते हैं कि पहले इंटरनेट में कोई रुचि नहीं थी। बच्चों ने जब सिखा दिया, इसकी आदत हो गई है।