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पहली नजर की पसंद को रिश्ते में बदलने की चाह रखने वाले पढ़ें ये खबर, SP साहब ने आसान कर दी राह

कम ही जोड़ियां हैं जो अपनी पसंद को रिश्ते में बदल पाती हैं। कई बार दोस्ती के बाद प्यार होता है पर वे रिश्ते में नहीं बदल पाता। ये कहानी आपको हौसला देगी। बहुत मुश्किल नहीं ऐसा करना। -

By Akshay PandeyEdited By: Published: Thu, 11 Feb 2021 02:26 PM (IST)Updated: Thu, 11 Feb 2021 02:26 PM (IST)
बीएमपी तीन के कंमाडेंट सुशील कुमार व बिहार राज्य आपदा प्राधिकरण में परियोजना पदाधिकारी मधुबाला।

अनिल कुमार, पटना सिटी: जब भी प्यार का जिक्र होता है, लैला-मजनूं, शीरीं-फरहाद, हीर-रांझा और रोमियो-जूलियट जैसे प्रेमियों की छवियां अक्सर हमारे जेहन में उभरती हैं। उन्हीं चर्चित जोड़ियों की तरह कुछ लोग पहली नजर में ही किसी को दिल में बसा लेते हैं। कई बार दोस्ती के बाद प्यार होता है, जो आजीवन रिश्ते में बदल जाता है। ऐसा ही हुआ था गया जिला में पदस्थापित बीएमपी तीन के कंमाडेंट सुशील कुमार व बिहार राज्य आपदा प्राधिकरण में परियोजना पदाधिकारी मधुबाला के साथ। 

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प्यार करना आसान, स्वीकार करना मुश्किल

सुशील कुमार बताते हैं कि वर्ष 1997 में पटना विश्वविद्यालय से स्नातकोतर की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद मार्च 1998 में यूनिसेफ में कन्सलटेंट की नौकरी पाई। इसी दौरान प्रोजेक्ट पर काम करती एक युवती पहली नजर में भा गई, वह थी मधुबाला। सुशील को हर पल मधुबाला के दीदार का इंतजार रहने लगा। दरअसल, प्यार करना आसान है लेकिन उसे स्वीकारना मुश्किल। प्यार तो दिल करता है लेकिन उसे स्वीकारता दिमाग है। वे बताते हैं कि कुछ ही दिनों में उसकी ओर एक खिंचाव सा महसूस करने लगा था। उसकी नजदीकी मेरे भीतर कुछ बदलाव ला रही थी। वह बदलाव मुझे अच्छा लग रहा था। मैं उसकी आंखों में, उसकी बातों में अपने लिए आकर्षण की तरंगें देखने लगा।

मधुबाला के हामी भरने का लम्हा अप्रत्याशित था

दिल और दिमाग में उधेड़बुन चल ही रही थी कि एक दिन उन्होंने हिम्मत कर दोस्ती का प्रस्ताव रखा। उधर, मधुबाला भी सुशील के भोलेपन व सौम्य व्यवहार की कायल हो चुकी थीं। कुछ दिनों बाद मधुबाला ने भी हामी भर दी, वह लम्हा अप्रत्याशित था। दोस्त बने तो मुलाकातों का दौर शुरू हुआ। इसी बीच वर्ष 1999 में सुशील का चयन बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा में हो गया। इस दोस्ती को लकी मानते हुए दोनों मुलाकात के दौर को बढ़ाते चले गए। दोस्ती कब प्यार में बदल गई, यह पता नहीं चला।

प्रपोज करने में लग गए पांच साल

कमांडेंट सुशील बताते हैं कि इश्क का इजहार करने में पांच वर्ष लग गए। सुशील को बेइंतहा पसंद करने वाली मधुबाला ने भी हामी भर दी। जाति अलग-अलग थीं लेकिन दिल एक हो चुके थे। परिवार वालों की मर्जी तथा दोनों की रजामंदी से वर्ष 2005 में दोनों की शादी हुई। सुशील कुमार रक्सौल, छपरा, समस्तीपुर, मसौढ़ी तथा पटना सिटी में डीएसपी पद पर रहकर नागरिकों के बीच अपनी बेहतर कार्यशैली के कारण काफी लोकप्रिय रहे।

मधुबाला से दोस्ती का निर्णय जिदंगी का सबसे बेहतर फैसला था

वर्ष 2012 में आइपीएस रैंक मिलने के बाद वे आर्थिक अपराध इकाई के एसपी बने। इसके बाद गया के सिटी एसपी तथा भोजपुर एसपी के रूप में जिले में नागरिकों के बीच अमिट छाप छोड़ी। उस क्षेत्र के लोग आज भी उन्हें याद करते हैं। वर्तमान में गया में बीएमपी तीन में पदस्थापित कमांडेंट सुशील कुमार बताते हैं कि मधुबाला से दोस्ती का निर्णय उनकी जिदंगी का सबसे बेहतर फैसला था। शादी के बाद एक पुत्र व पुत्री हुए। दोनों पढ़ने में काफी तेज हैं। वहीं बिहार राज्य आपदा प्राधिकरण में परियोजना पदाधिकारी के पद पर पदस्थापित मधुबाला भी भगवान से दुआ करती है कि हर जन्म में उन्हें जीवन साथी के रूप में सुशील का ही हाथ मिले। प्यार करने वाले युवाओं के लिए एसपी साहब की सफल प्रेम कहानी एक मिसाल है।


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