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राजकीय संस्कृत कॉलेज के प्रोफेसर के वेतन से वसूली जाएगी गबन की राशि

दैनिक जागरण में खबर प्रकाशित होने के बाद कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय की खुली नींद

By JagranEdited By: Published: Sun, 14 Apr 2019 11:38 PM (IST)Updated: Sun, 14 Apr 2019 11:38 PM (IST)
राजकीय संस्कृत कॉलेज के प्रोफेसर के वेतन से वसूली जाएगी गबन की राशि
राजकीय संस्कृत कॉलेज के प्रोफेसर के वेतन से वसूली जाएगी गबन की राशि

पटना। दैनिक जागरण में खबर प्रकाशित होने के बाद कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा की नींद खुली और वेतन मद में 50 लाख रुपये गबन के आरोपित राजकीय संस्कृत महाविद्यालय काजीपुर, पटना में कार्यरत सहायक प्रोफेसर कृष्णानंद पांडेय पर कार्रवाई करते हुए उनके खिलाफ कार्यालय आदेश निर्गत कर दिया। 23 फरवरी को दैनिक जागरण में इस संबंध में खबर प्रकाशित हुई थी। खबर छपने के बाद विवि ने इस पर संज्ञान लेते हुए पूरे मामले की जांच कराई। इसमें प्रोफेसर कृष्णानंद पांडेय पर लगे आरोप को सही पाया और उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करते हुए वेतन मद में गबन की गई राशि की वसूली और विभागीय कार्रवाई करने का आदेश जारी कर दिया। कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा के ज्ञापांक 342/ 19 दिनांक 08.04.19 द्वारा जारी आदेश में कृष्णानंद पांडेय को पंचम पुनरीक्षित वेतनमान में ही भुगतान करने का आदेश दिया गया। साथ ही उनके द्वारा लिए गए षष्ठ पुनरीक्षित वेतनमान की गणना कर उनके वेतन से 50 प्रतिशत की राशि प्रतिमाह कटौती कर वसूलने के साथ ही उनके खिलाफ प्रशासनिक विभागीय कार्रवाई चलाने का आदेश दिया है। इस बाबत कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा ने कहा कि जैसे ही मामला उनके संज्ञान में आया उन्होंने मामले की त्वरित जांच कराई और आरोप सत्य पाया। लिहाजा कार्रवाई की गई। उन्होंने कहा कि आगे भी भ्रष्टाचार के मामले में विश्वविद्यालय कोई समझौता नहीं करेगा। चाहे सामने वाला कोई भी क्यों न हो।

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गौरतलब है कि प्रो. पांडेय के खिलाफ राजभवन, कुलपति और बिहार सरकार के शिक्षा विभाग में शिकायत की गई थी। कॉलेज प्राचार्य ने (पत्रांक 63/19 दिनांक 14. 02.2019) को पत्र लिखकर पूरे मामले से विश्वविद्यालय को अवगत कराया था। प्रो. पांडेय पर पटना उच्च न्यायालय में दायर सीडब्लूजेसी 9454/2002 के पारित आदेश के विपरीत शिक्षा विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों की मिलीभगत से यूजीसी वेतनमान में वेतन का निर्धारण करवा लेने का आरोप है, जबकि कोर्ट ने इन्हें अपुनरीक्षित वेतनमान देने का आदेश पारित किया था। इस संबंध में विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलसचिव ने नवंबर 2017 में शिक्षा विभाग के उच्च शिक्षा निदेशक को पत्र लिखकर मामले की जानकारी दी थी।


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