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विश्‍वविद्यालय-कॉलेजों की बदलेगी पढ़ाई, बनेंगे नये पाठ्यक्रम

विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर के संस्थानों से करार किया जाएगा। ताकि विद्यार्थी मार्केट की जरूरतों को समझ सकें।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Tue, 20 Mar 2018 01:33 PM (IST)Updated: Tue, 20 Mar 2018 08:22 PM (IST)
विश्‍वविद्यालय-कॉलेजों की बदलेगी पढ़ाई, बनेंगे नये पाठ्यक्रम

पटना [सुनील राज]। प्रदेश के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार नई कवायद में जुट गई है। अब विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में  शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर के संस्थानों से करार किया जाएगा। ताकि विद्यार्थी साइंस टेक्नोलॉजी के साथ ही बदलते परिवेश में मार्केट की जरूरतों को समझ सकें और पढ़ाई पूरी होने के बाद वे भविष्य की चुनौतियों के लिए पूरी तरह से तैयार रहे। नई व्यवस्था को लागू करने के लिए विश्वविद्यालयों-कॉलेजों के पाठ्यक्रम में व्यापक बदलाव किए जाएंगे। यह तमाम काम उच्चतर शिक्षा परिषद के माध्यम से पूरे किए जाएंगे।

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उच्चतर शिक्षा परिषद का होगा गठन

विवि-कॉलेजों में शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए केंद्र सरकार के निर्देश पर उच्चतर शिक्षा परिषद का गठन राज्य में काफी अरसा पहले ही हुआ, लेकिन एक्ट ना होने की वजह से परिषद विवि-कॉलेजों में शिक्षा सुधार के कार्य मुस्तैदी से नहीं कर पा रही थी।  अब सरकार ने उच्चतर शिक्षा परिषद विधेयक को मंजूरी दे दी है। जिसके बाद विवि-कॉलेजों से जुड़े तमाम कार्य परिषद के माध्यम से संपन्न होंगे।

उच्चतर शिक्षा परिषद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की तर्ज पर काम करेगा। 21 सदस्यीय उच्चतर शिक्षा परिषद के पास विवि-कॉलेजों के शिक्षकों के प्रशिक्षण के साथ-साथ उच्च गुणवत्ता वाली पुस्तकों, मोनोग्राम के प्रकाशन का भी जिम्मा होगा। परिषद एकेडमिक स्टाफ कॉलेज की निगरानी और विश्वविद्यालयों के साथ समन्वय के लिए भी काम करेगी। इसका सबसे बड़ा काम विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक सत्र को नियमित कराना होगा। सत्र नियमित करने के लिए परिषद मास्टर प्लान भी तैयार करेगा। 

आधुनिक जरूरतों को पूरी करनेवाला होगा पाठ्यक्रम

सरकार का मानना है कि वैश्विक रूप से विवि-कॉलेजों की पढ़ाई का स्तर काफी बदल चुका है। उच्चतर शिक्षा में रोज नए-नए प्रयोग हो रहे हैं। ऐसे में राज्य के विवि और कॉलेजों में पढऩे वाले विद्यार्थियों को भी उस व्यवस्था से जोडऩे की दरकार है। परिषद  विवि-कॉलेज के लिए मार्केट की जरूरत के अनुसार पाठ्यक्रम बनाएगा।

उद्योग समूहों में आज अधिक से अधिक प्रशिक्षित विद्यार्थियों की जरूरत है और बाजार अभी किस प्रकार की शिक्षा को स्वीकार कर रहा है, इसके बारे में भी विद्यार्थियों को जानकारी दी जाएगी। इसके लिए परिषद क्षेत्रीय स्तर के उद्योग समूहों के साथ समन्वय स्थापित करेगी। इन उद्योग या व्यावसायिक समूहों में विद्यार्थियों के लिए इंटर्नशिप की सुविधा मुहैया कराने का काम भी परिषद ही करेगा।

यूजीसी को दी जाएगी रिपोर्ट

शिक्षा सूत्रों की मानें तो उच्चतर शिक्षा परिषद को सरकार ने एक और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने का फैसला किया है। परिषद विवि-कॉलेजों की कार्यशैली पर एक प्रतिवेदन तैयार करेगी। इसमें कॉलेजों की व्यवस्था में सुधार से लेकर तमाम व्यवस्था के बारे में जिक्र होगा। सरकार व यूजीसी को यह प्रतिवेदन देकर परिषद वहां से व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए राशि का भी इंतजाम करेगी। साथ ही सुझाव भी होगी कि कौन सी व्यवस्था कर उच्चतर शिक्षा में बड़े बदलाव किए जा सकते हैं।

परिषद की संरचना

परिषद के अध्यक्ष - शिक्षा मंत्री होंगे

उपाध्यक्ष -  प्रोफेसर रैंक के अधिकारी

पदेन सदस्य -  वित्त, शिक्षा, उद्योग, विज्ञान एवं प्रावैधिकी और स्वास्थ्य विभाग एवं यूजीसी के नाामित प्रतिनिधि

मनोनीत - कला, विज्ञान एवं प्रावैधिकी, संस्कृति, सिविल सोसायटी एवं उद्योग, व्यावसायिक शिक्षा तथा कौशल विकास के क्षेत्र से सरकार पांच लोगों को सदस्य के रूप में नामित करेगी। केंद्रीय विवि एवं अन्य विश्ववविद्यालय के तीन कुलपति भी नामित सदस्य बनाए जाएंगे।


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