बिहार में शराबबंदी पर NDA का यू-टर्न, भाजपा बोली- इससे राज्य को बड़ा नुकसान, पारस की बड़ी मांग
बिहार में शराबबंदी कानून पर एक बार फिर सियासत तेज हो गई है। कभी पूर्ण शराबबंदी कानून का समर्थन करने वाला राजग अब इसकी खामियां बताने में लगा है। भाजपा का कहना है कि इससे राज्य को बड़ा आर्थिक नुकसान हो रहा है।
अरुण अशेष, पटना। एक समय शराबबंदी के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रशंसा करनेवाली भाजपा और रालोजपा अब इसका विरोध करने लगी है। दोनों दलों के तर्क अलग-अलग हैं। भाजपा सीधे-सीधे शराबबंदी कानून वापस लेने की मांग तो नहीं कर रही है, लेकिन वह इसके नकारात्मक पहलुओं को उजागर कर इशारे में कह रही है कि इस कानून से अब राज्य का नुकसान हो रहा है।
सबसे बड़ा नुकसान यह कि खजाना की हालत खराब हो गई है। शराब बेचने से सरकार को हर साल कर के रूप में छह हजार करोड़ रुपये की आमदनी होती थी, वह इस कानून के चलते बंद है। दूसरी तरफ रालोजपा का तर्क है कि सरकार कानून को ठीक से लागू नहीं कर पा रही है। इससे अच्छा है कि शराब को पहले की तरह फ्री कर दे।
सरकार से अलग होने के बाद सुशील मोदी ने बताया नुकसान
साथ रहने के दौरान भाजपा कभी शराबबंदी कानून का विरोध नहीं कर पाई। हां, उसके कुछ नेता इस बात से जरूर कुपित थे कि राज्य में शराब की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। जहरीली शराब से लोग मर रहे हैं। लेकिन, सरकार से अलग होने के बाद भाजपा के राज्यसभा सदस्य और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने नया नुकसान बता दिया। उनके मुताबिक राज्य सरकार खराब आर्थिक स्थिति का रोना रो रही है। आर्थिक कमजोरी का बड़ा कारण शराबबंदी से होने वाला नुकसान है। शराब से कर के रूप में सरकार को सालाना छह हजार रुपये की आमदनी होती थी। वह 2016 से बंद है।
तब पूर्ण शराबबंदी में मोदी की थी बड़ी भूमिका
दिलचस्प यह है कि राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू होने में सुशील मोदी की बड़ी भूमिका है। एक अप्रैल 2016 को शराबबंदी का आदेश जारी हुआ तो उस समय देसी पर पूर्ण और अंग्रेजी शराब पर आंशिक पाबंदी लगाई गई थी। तब विपक्ष में रहे सुशील मोदी ने कड़ा प्रतिवाद किया। उनका कहना था कि शराबबंदी पूर्ण हो या बिल्कुल न हो। नीतीश कुमार ने उनकी सलाह का सम्मान किया।दूसरी अधिसूचना जारी कर शराब पर पूरी पाबंदी लगा दी गई। इसके अगले साल 2017 में सुशील मोदी खुद सरकार में शामिल हो गए थे। तब से जदयू और भाजपा के अलगाव से पहले तक वे शराबबंदी कानून के गुण गा रहे थे। इसके फायदे गिना रहे थे।
पारस भी कानून वापसी के पक्ष में
रालोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस पहली बार शराबबंदी कानून के विरोध में बोल रहे हैं। उन्हें इस कानून की निरर्थकता का पता संसदीय क्षेत्र हाजीपुर में हुई एक दुर्घटना से चला। पिछले सप्ताह हाजीपुर-महनार सड़क पर एक शराबी ट्रक ड्राइवर ने छह बच्चों को कुचल दिया था। ड्राइवर ने पुलिस को बताया कि उसने 40 रुपया देकर एक ग्लास शराब पी थी। पारस ने कहा-40 रुपये की शराब पीकर ड्राइवर ने आठ बच्चों को मार दिया। यानी पांच रुपये में एक बच्चे की जान ली गई। राज्य सरकार शराबबंदी को सख्ती से लागू करे या पहले की तरह इसे फ्री कर दे।