बिहार में शराबबंदी कानून के 2.5 साल, सजा सिर्फ 141 को, जानिए वजह
बिहार में शराबबंदी का कानून लागू हुए ढाई वर्ष बीत गए लेकिन अबतक सजा सिर्फ 141 को ही मिली है। जबकि इस दौरान शराब पीने और बेचने वाले 1.33 लाख लोगों पर मुकदमा दर्ज किए गए।
पटना [राज्य ब्यूरो]। बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद रक्षक के भक्षक बनने और पुलिसकर्मियों के खिलाफ गोपालगंज में कार्रवाई का मामला कोई पहला नहीं हैं। अप्रैल 2016 में शराबबंदी कानून लागू होने बाद व्यवस्था ने शराब पीने और बेचने वाले 1.33 लाख लोगों पर मुकदमा दर्ज किए लेकिन ढाई वर्ष के दौरान यानी सितंबर 2018 तक सजा सिर्फ 141 को मिली। पुलिस मुख्यालय के आंकड़े बताते हैं कि शराबबंदी कानून के तहत जिन लोगों सजा हुई उनमें 52 शराब पीने वाले और 89 शराब बेचने वाले हैं।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार 52 हजार 185 मामले मद्य निषेध विभाग ने दर्ज कराए जबकि पुलिस ने 81 हजार 154 प्राथमिकी दर्ज की है। इस दौरान मद्य निषेध विभाग और पुलिस ने मिलकर एक लाख 61 हजार 620 व्यक्तियों को गिरफ्तारी की।
करीब ढाई वर्ष के दौरान में दर्ज इन मुकदमों में 30 हजार 711 यानी 51.88 फीसद मामले पीने वालों से संबंधित है, वहीं शराब बेचने के आरोप में 14 हजार 705 मामले दर्ज किए गए। इसका फीसद 33.26 है जबकि शराब जमा करने और उसके परिवहन से जुड़े मामलों का फीसद क्रमश 8.90 और 5.96 फीसद है।
ये हाल तब है जबकि सरकार ने स्पेशल कोर्ट का गठन कर आरोपितों को अधिक से अधिक सजा दिलाने में जुटी है। अब तक 242 पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई हुई। 29 पुलिसकर्मियों को बर्खास्त किया गया। 80 पुलिसकर्मी जेल भेजे गए। दर्जनों पुलिस कर्मियों को 10 साल तक थाना की पोस्टिंग से वंचित रखा गया है। लेकिन फिर भी साफ है कि कानून को तोडऩे वाले पुलिस कर्मियों के कार्रवाई रफ्तार सुस्त है।
बता दें कि 16 सितंबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी की समीक्षा के दौरान पुलिसकर्मियों के संलिप्तता की खबरों को गंभीरता से लेने के निर्देश दिए थे। कहा था कि ऐसे अधिकारियों को सरकारी सेवा में रहने का कोई अधिकार नहीं है।
उधर, गोपालगंज में पुलिस कर्मियों द्वारा शराब की तस्करी कराए जाने पर पुलिस मुख्यालय ने कहा है कि शराब बेचने और पीने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने में कोताही बरतने वाले पुलिस कर्मियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। किसी भी सूरत में शराबबंदी कानून की अनदेखी करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।