छठ में इन ट्रांसजेंडर्स की भी अगाध आस्था, 10 साल से व्रत कर रही रानी
छठ व्रत पर बिहार में लोगों की अगाध आस्था है। इसने धर्म की दीवारें गिरा दी हैं। अब तो ट्रांसजेंडर समुदाय के लोग भी छठ के प्रति आकर्षित हुए हैं।
पटना [जेएनएन]। छठ सामाजिक समरसता का पर्व है। मां गंगा का जल सभी को एक कर देता है। सारे भेद-भाव मिटा देता है। राजधानी पटना सहित बिहार के कई भागों में ऐसी ही मिसाल पेश कर रहे हैं ट्रांसजेंडर (किन्नर) समुदाय के लोग। इनकी आस्था किसी से भी कम नहीं है।
10 साल से छठ कर रही रानी
भोजपुर के कोईलवर की रहनेवाली रानी किन्नर 10 सालों से लगातार छठ पर्व करती आ रही हैं। उनके अनुसार वे हर साल इस महान पर्व के माध्यम से समाज में सुख-शांति की मंगलकामना करती हैं। रानी ने कहा कि भगवान ने उन्हें इस जन्म में उचित स्वरुप ना दिया, लेकिन छठ पर्व के दौरान वे लोगों की खुशहाली के साथ-साथ अपने और समुदाय के बाकी सदस्यों को अगले जन्म में उचित स्वरुप देने की कामना करती हैं। रानी को उसकी गुरु तारा किन्नर सहित दल के सभी 20 सदस्य निष्ठा के साथ सहयोग करते हैं।
दोस्त के प्रोत्साहन से शुरू किया व्रत
पटना के बोरिंग रोड की रहने वाली अमरुता इस साल पहली बार छठ कर रहीं हैं। बतातीं हैं कि पिछले साल दोस्त को देखकर मां गंगा की पूजा करने की इच्छा हुई। दोस्त ने इस पूजा के महत्व को बताया। इसी को ध्यान में रखते हुए इस बार मैं अपने आस-पड़ोस के रहने वाले लोगों की सलामती के लिए छठ रख रहीं हूं। भगवान भास्कर की पूजा के लिए इस साल मैं दीघा घाट पर अर्घ्य दूंगी।
16 साल की उम्र से गीता कर रहीं हैं पूजा
पटना के गाय घाट की रहने वाली गीता पिछले 25 साल से छठ व्रत कर रही हैं। वो बताती हैं कि 16 साल की उम्र से छठ पूजा कर रही हैं। मेरे अपने खुश रहें यही मेरी गंगा मां से कामना रहती है। कहती हैं कि पूजा में हम लोगों को अन्य समुदाय के लोगों का भी साथ मिलता है। इस साल अपने साथियों के साथ भद्र घाट पर अर्घ्य देने का मन बनाया है। प्रसाद बनाने की तैयारी जारी है।
अपने समुदाय के साथ मिलकर अर्घ्य देंगी सुमन
पटना के बोरिंग रोड की रहने वाली सुमन मित्रा पहली बार छठ कर रही हैं। वो बताती हैं कि घर की सुख-शांति के लिए इस बार छठ पूजा करने का मन बनाया है। मेरे घर में पहले कोई छठ नहीं रहता था। मेरी इच्छा हुई तो अपने समुदाय के लोगों के साथ मिलकर इस बार व्रत रखने का मन बनाया। नहाए-खाए के साथ सारा काम मैं खुद ही करती हूं। भगवान भास्कर से बस एक ही प्रार्थना है कि मन की सारी इच्छाएं पूरी हों। इस पर्व के बहाने बहुत सारे लोगों से व्यवहार बन जाता है। प्रसाद बनाने का सिलसिला जारी है। दीघा घाट से इस बार गंगा जल लाकर प्रसाद बनाऊंगी।