पटना में ट्रेन हादसाः फोन पर सुनाई दी चीख, पटरी पर मिली बेटी-दामाद और नाती की लाश
नोएडा में कार्यरत साफ्टवेयर इंजीनियर पति-पत्नी और उनके पांच साल के बेटे की सड़क हादसे में मौत हो गई। उनकी बेटी ने हादसे के आधे घंटे पहले ही स्वजन से बात की।
पटना, जेएनएन। नोएडा में कार्यरत साफ्टवेयर इंजीनियर पति-पत्नी और उनके पांच साल के पुत्र की शनिवार सुबह पटना में अवैध रेलवे क्रासिंग पर कार और जनशताब्दी के टक्कर में मौत हो गई। सभी अपनी स्विफ्ट कार से पटना के आनंदपुरी स्थित घर से पुनपुन के धरहरा गांव जा रहे थे। पटना-गया रेलखंड के पोठही और नदवा स्टेशन के बीच धरहरा गांव के पास अवैध रेलवे क्रासिंग पर 02365 अप जनशताब्दी एक्सप्रेस ने स्विफ्ट कार को टक्कर मारी। मृतकों सुमित कुमार सिंह (42), निलिका बिहारी सिंह (35) के साथ बेटा प्रणीत कुमार (5) हैं।
आधा किमी पहले मौत को लगाया गले
पुनपुन के धरहरा गांव में सुमित की ससुराल थी। शनिवार की सुबह पत्नी नीलिका और बेटे प्रणीत के साथ बोरिंग रोड से ससुराल जा रहे थे। धरहरा गांव पहुंचने से आधा किमी. पहले ही रेल पटरी पार करने के दौरान मौत ने गले लगा लिया। सुबह-सुबह घटना की खबर सुनकर पहले तो नीलिका के मायके वालों को विश्वास ही नहीं हुआ। ग्रामीण और स्वजन घटनास्थल की ओर दौड़ पड़े। बेटी, दामाद और नाती की मौत की खबर सुनते ही मां बेसुध हो गई।
मम्मा-पापा को आप बोलो मुझे आपके पास आना है...
सुमित के ससुर सुरेंद्र सिंह के आंखों के आंसू नहीं थम रहे थे। रोते हुए उन्होंने बताया कि नाती प्रणीत कुमार कुछ दिनों से हर बार बोल रहा था कि नानाजी मुझे आपके पास आना है। मम्मा-पापा को आप बोलो मुझे आपके पास ले जाएं। यहां मुझे मन नहीं लग रहा। प्रणीत की जिद के बाद दामाद सुमित और बेटी नीलिका आ रही थी। बेटी पटना से चलने से पहले भी फोन की थी। रास्ते में भी मोबाइल से बातें कर रही थी। रेल पटरी करने के दौरान भी मोबाइल से बातें कर रही थी। तभी बेटी के चीखने की आवाज सुनाई दी और जोरदार टक्कर की आवाज हुई। तभी घटना की आशंका हुई। घर से जैसे ही बाहर निकला कई ग्रामीण भी पहुंच गए और ट्रेन से एक कार के टक्कर होने की बात कही। इस हादसे में तीन लोगों की मौत हो चुकी है। इतना सुनने के बाद यह समझते देर नहीं लगी और मैं घटनास्थल की तरफ दौड़ पड़ा। रेल ट्रैक पर बेटी, दामाद और नाती का शव पड़ा था। इतना कहते ही वे फफक-फफक कर रो पड़े।
कहां चल गेलई छोटका बाबू
हर बार होश में आते ही नीलिका की मां पूछ रही थी कि हमर बेटी-दामाद, हमर छोटका बाबू प्रणीत कहां हई। लावा हमर सामने। अभी हमरा से बेटी बोलके हल कि हम आ गेली हे। पांच मिनट में घरे पहुंच जइवइ। अब तुरंते ई का हो गेल। इसी तरह पथराई आंखों से हर बात यह बोल कर नीलिका की मां बेहोश हो जा रही थी। घर के अन्य लोग सांत्वना देने में जुटे थे।