महात्मा गांधी सेतु के नीचे जमा कूड़े से निकलती है जहरीली गैस, नागरिक परेशान
राजधानी पटना के महात्मा गांधी सेतु के नीचे कूड़ा डंपिंग की वजह से जहरीली गैस का रिसाव हो रहा है। इस वजह से यहां रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
पटना [जेएनएन]। पटना नगर निगम की अक्षमता महात्मा गांधी सेतु के नीचे बसे समीपवर्ती आधा दर्जन मोहल्लों में रहने वाले 25 हजार नागरिकों के लिए सजा बन गई है। पुल के नीचे अवैध ढंग से शहर का कूड़ा डंप किया जा रहा है। जमा कूड़ा के ढेर से निकलने वाली जहरीली गैस यहां के नागरिकों की सेहत खराब कर रही है। नागरिकों का कहना है कि हर सांस के साथ बीमारी शरीर में प्रवेश कर रही है। कूड़ा डंपिंग यार्ड हटाने के लिए स्थानीय नागरिक आंदोलन भी कर चुके हैं। उसके बावजूद कूड़ा डंप किया जा रहा है।
घूट-घूट कर जीना नागरिकों के लिए मजबूरी
उल्लेखनीय बात यह है कि न तो लोग सांस लेना बंद कर सकते हैं और न नहीं नगर निगम इस अवैध कूड़ा संग्रह केंद्र पर रोक लगा सकती है। ऐसे में नागरिकों का घूट-घूट कर जीना उनके लिए मजबूरी बन गया है। हालत इतने बदतर हैं कि गंगा ब्रिज लिंक रोड, बिस्कोमान कॉलोनी, विकास कॉलोनी, संदलपुर, दक्षिणी बजरंगपुरी, आरएमआरआई प्रांगण, एनएमसीएच प्रांगण के अलावा अन्य आसपास मकानों में रहने वाले लोग गर्मी प्रारंभ होते ही पंखा व कूलर चलाने से डरते हैं।
नागरिकों का कहना है कि रात में पंखा व कूलर चलाते ही कूड़े से निकलने वाली जहरीली गैस वेंटिलेटर से हवा के साथ घर में प्रवेश करने से सांस लेने में परेशानी होने लगती है।
बैरिया में है कूड़ा डंपिंग यार्ड
बैरिया में कूड़ा डंपिंग यार्ड है। निगमायुक्त ने पटना तथा सिटी के कूड़ों को पहले सेतु के नीचे जमा करने का आदेश दिया। इसके बाद उसी दिन गांधी सेतु के नीचे जमा कूड़ों को हाईवा से बैरिया स्थानांतरित करने की बात कही। नागरिकों का आरोप है कि नगर निगम कर्मी खाली स्थान देख शहर के कूड़ा को फेंक 25 हजार लोगों के जीवन को नारकीय बना दिया है। प्रकाश पर्व के दौरान किया गया घेराबंदी भी हटा लिया गया। जिस गति से यहां कूड़ा फेका जाता है उस गति से उसी दिन कूड़ा हटाने की कार्रवाई नहीं होती है। यही कारण है कि सेतु के नीचे कूड़ा का अंबार कम नहीं होता।
नागरिक बोले-कूड़े में लगा देते हैं आग
पुल के नीचे शहर की गंदगी की ढेर में आसपास के नर्सिग होम व अस्पताल वाले अपने यहां के सर्जिकल कपड़ा फेंक रहे हैं। इससे स्थिति और घातक हो रही है। उच्च न्यायालय के गाइड लाइन के अनुसार सर्जिकल कपड़ा का निस्तारण इंसीलेटर मशीन में किया जाता है लेकिन इस गाइड लाइन का पालन नहीं हो रहा है। स्थानीय नागरिकों ने बताया कि गांधी सेतु के नीचे जब कूड़ा ज्यादा इकट्ठा होता है तो निगम कर्मी कूड़े में आग लगाकर अवैज्ञानिक तरीके से उसका निस्तारण करते हैं।
कूड़ा जलने से उठा प्रदूषित धुंआ सांसों के माध्यम से शरीर में जाकर कई बीमारियों को जन्म देता है। मीठे जहर के रूप में फैला धुंआ का प्रभाव लंबे समय तक वायुमंडल में रहता है। कूड़ा डंपिंग के समीप रहने वाले नागरिकों ने बताया कि बिस्कोमान गोलंबर से एनएमसीएच मार्ग में एकत्रित दुर्गंध युक्त कूड़ा के बीच गुजरना मुश्किल है। दर्जनों लोग बीमार हो चुके हैं।