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जब देखा राजद का सूरते-हाल, लालू के लाल तेजस्वी यादव ने बदली अपनी चाल

लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद राजद की स्थिति देखकर लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे औऱ बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने अपनी चाल बदल ली है। जानिए...

By Kajal KumariEdited By: Published: Tue, 27 Aug 2019 04:04 PM (IST)Updated: Wed, 28 Aug 2019 09:55 AM (IST)
जब देखा राजद का सूरते-हाल, लालू के लाल तेजस्वी यादव ने बदली अपनी चाल
जब देखा राजद का सूरते-हाल, लालू के लाल तेजस्वी यादव ने बदली अपनी चाल

पटना [अरविंद शर्मा]। तीन महीने की राजनीतिक शिथिलता के बाद तेजस्वी यादव अति सक्रिय होकर लौटे हैं तो राजद में सबकुछ बदल कर रख देना चाह रहे हैं। जिन कारणों से लोकसभा चुनाव में पार्टी और गठबंधन की हार हुई थी, उससे भी पीछा छुड़ाना चाह रहे हैं। मुस्लिम-यादव (माय) के तुष्टीकरण के लिए बदनाम राजद में अबकी सबको लेकर चलने की नसीहत दी जा रही है। 

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माय समीकरण की खुलेआम वकालत कर करीब डेढ़ दशक तक बिहार की सत्ता में मजबूती से बने रहने वाले लालू प्रसाद के उत्तराधिकारी ने पहली बार साफ किया है कि राजद किसी विशेष जाति या समुदाय की पार्टी नहीं है, बल्कि यह सबकी है।

राजद के सदस्यता अभियान में तेजस्वी ने पार्टी पदाधिकारियों से सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखकर नए सदस्यों को जोडऩे की हिदायत दी है। बकौल तेजस्वी, राजद संगठन में सभी समुदायों, वर्गों, जातियों एवं धर्मों के लोगों के चेहरे नजर आने चाहिए। 

तेजस्वी के नए फार्मूले को लोकसभा चुनाव में हार से जोड़कर देखा जा रहा है। तब पांच दलों के महागठबंधन में राजद ने सामाजिक समीकरण पर ध्यान नहीं दिया था। अपने हिस्से की 20 सीटों में अधिकतर प्रत्याशी यादव और मुस्लिम समुदाय से ही उतारे थे।

टिकट वितरण में ब्राह्मण, भूमिहार एवं कायस्थ जाति की पूरी तरह अनदेखी की गई थी। गरीब सवर्णों के आरक्षण का विरोध भी अकेले राजद ने ही किया था। इसका नतीजा हुआ कि राजद अपने हिस्से की सारी सीटें हार गया था।

विधानसभा में 80 विधायकों वाले राजद से बेहतर प्रदर्शन 27 विधायकों वाली कांग्र्रेस ने किया था। एक सीट जीतकर उसने खाता खोल लिया था। राजद की रणनीति पर पूरी तरह निर्भर महागठबंधन के अन्य साथी दलों का हाल भी अलग नहीं था। सबको करारी हार मिली, जबकि कांग्र्रेस ने अपनी शर्तों पर प्रत्याशी उतारे, अपने मुताबिक रणनीति बनाई और एक सीट निकाल ली। 

पार्टी पर नियंत्रण की कोशिश 

लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार राजद की किसी बैठक में शिरकत करते हुए तेजस्वी ने परिक्रमा करने में जुटे पदाधिकारियों को साफ कर दिया कि पार्टी में पद पाने के लिए अब प्रदर्शन जरूरी होगा। अभी तक राजद में पद पाने का कोई पैमाना नहीं था। लालू परिवार की सिफारिश पर कोई भी पद प्राप्त कर लेता था।

तेजस्वी ने काम को आधार पर बनाकर पार्टी पर पूरी तरह से नियंत्रण की कोशिश की है। सभी पदाधिकारियों और विधायकों को लक्ष्य तय कर दिया है। प्रदेश स्तर के पदाधिकारियों को कम से कम 15 हजार सदस्य बनाने का लक्ष्य दिया गया है। प्रखंड और पंचायत स्तर के लिए भी मानक तय कर दिया गया है। तेजस्वी राज्य के सभी 72 हजार बूथों पर राजद की मौजूदगी चाहते हैं।  


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