Valmiki Tiger Reserve: बिहार में बाघों को आसानी से मिलेगा शिकार, वीटीआर में विकसित हो रहा ग्रासलैंड
Valmiki Tiger Reserve बिहार में अब बाघों को नहीं होगी दिक्कत। उसे आसानी से शिकार मिलेगा। भोजन के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। वीटीआर में ग्रासलैंड को विकसित किया जा रहा है।
पश्चिम चंपारण, विवेक कुमार। Valmiki Tiger Reserve: बिहार में अब बाघों को खाने-पीने या शिकार करने में नहीं होगी कोई दिक्कत। उसे आसानी से शिकार मिलेगा। भोजन के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। दरअसल, वीटीआर में ग्रासलैंड को विकसित किया जा रहा है। शाकाहारी जीवों की संख्या बढ़े, इसके लिए वीटीआर (वाल्मीकि टाइगर रिजर्व) प्रशासन ने 23 पुराने ग्रासलैंड को पुनर्जीवित करने के साथ दो नए विकसित कर रहा है। नए ग्रासलैंड के लिए करीब एक हजार हेक्टेयर भूमि चिह्नित की गई है।
ज्यादातर ग्रासलैंड जलस्रोत के पास
जानकारी के अनुसार, पश्चिमी चंपारण स्थित वीटीआर में ज्यादातर ग्रासलैंड जलस्रोत के पास हैं, ताकि शाकाहारी जानवरों को भोजन के साथ पानी भी मिल सके। पर्याप्त ग्रासलैंड होने से हिरण, सांभर, चीतल, नीलगाय जैसे शाकाहारी जानवर यहीं अधिवास बनाएंगे। इससे बाघों को आसानी से शिकार मिलेगा और वे जंगल से बाहर निकलना बंद कर देंगे। फिलहाल, वीटीआर में 42 बाघ हैं। कोरोना को लेकर इसकी देखभाल में और अधिक सतर्कता बरती जा रही है। बाघों की संख्या बढ़ाने पर भी जोर दिया जा रहा है।
एक ग्रासलैंड के विकसित करने पर खर्च होंगे तीन लाख
एक ग्रासलैंड को विकसित करने में तकरीबन तीन लाख रुपये खर्च हो रहे, जबकि पुराने को पुनर्जीवित करने में करीब डेढ़ लाख रुपये का खर्च आएगा। जगह-जगह वाटर होल भी बनाए गए हैं, ताकि वन्य जीवों को पानी के लिए भी भटकना नहीं पड़े।
लगाई जा रही रुचिकर घास
वीटीआर में उगने वाली जंगली घास माइकेनिया, यूकोटोरियम व फिनिक्स, न सिर्फ वनस्पतियों को नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि इन्हें शाकाहारी जानवर भी नहीं खाते हैं। इसलिए वीटीआर प्रशासन इन घासों को चिह्नित कर उन्हें हटाता है और इसके बदले रुचिकर घास लगाई जाती है।
कहते हैं कि मुख्य वन संरक्षक हेमकांत राय
वीटीआर के मुख्य वन संरक्षक हेमकांत राय ने बताया कि दो नए ग्रासलैंड विकसित करने के साथ करीब दो दर्जन पुराने ग्रासलैंड को पुनर्जीवित किया जा रहा। इसमें 30 लाख रुपये खर्च होंगे। मानसून में इस काम को पूरा कर लिया जाएगा।