नेत्र विभाग को मिल सकती है पीजी की तीन सीट
एनएमसीएच पीजी विभाग में तीन सीटें बढ़ सकती हैं।
पटना सिटी। नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में पीजी की पढ़ाई नहीं होती है। इस बार पीजी की तीन सीटों की मान्यता मिलने और अगले सत्र से नामांकन और पढ़ाई शुरू होने की उम्मीद बढ़ी है। विभाग ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को पीजी निरीक्षण के लिए निर्धारित शुल्क 1.18 लाख रुपये जमा कर दिया है। कमियों को पूरा कर विभाग ने निरीक्षण के लिए तमाम आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली है। एमसीआइ की टीम कभी भी औचक निरीक्षण को पहुंच सकती है। इस मामले को लेकर पूरा विभाग इन दिनों चुस्त, दुरुस्त नजर आ रहा है।
विभागाध्यक्ष डॉ. राजेश तिवारी ने बताया कि विभाग में आइ बैंक शीघ्र ही स्थापित होगा। भवन निर्माण जारी है। इसके लिए आवश्यक उपकरण विभाग में पहुंच चुका है। पीजी की सीटें मिलीं तो आने वाले दिनों में आइ बैंक को इसका लाभ मिलेगा। साथ ही पीजी छात्र-छात्राओं के अध्ययन के लिए भी आइबैंक महत्वपूर्ण साबित होगा। उन्होंने बताया कि नेत्र रोग विभाग के ओपीडी में मरीजों की संख्या औसतन दो सौ है। हर दिन विभिन्न यूनिट में दर्जनभर मरीजों का ऑपरेशन होता है। आवश्यक उपकरण व अन्य सुविधाओं की कमी नहीं है।
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- विभाग में शिक्षकों की कमी नहीं
विभागाध्यक्ष ने बताया कि विभाग में एक प्रोफेसर, तीन एसोसिएट प्रोफेसर, सात असिस्टेंड प्रोफेसर, नौ सीनियर रेजिडेंट, एक जूनियर रेजिडेंट कार्यरत हैं। एक प्रोफेसर के बूते पीजी की दो सीट और एक एसोसिएट की यूनिट को एक सीट मिलने की उम्मीद है। विभाग में फेको मशीन का खराब पड़ा हैंडपीस जल्द बदला जाएगा। इन सबके बीच स्वास्थ्य विभाग को इस बात पर गंभीरता से सोचना होगा कि नेत्र रोग विभाग में सभी डॉक्टर अनुबंध पर कार्यरत हैं। केवल विभागाध्यक्ष ही प्रोफेसर के पद पर स्थायी कर्मी हैं। इसका असर विभाग की कार्य क्षमता एवं व्यवस्था पर पड़ रहा है। इन कमियों को दूर कर मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के समक्ष पीजी सीट के लिए मजबूत दावेदारी पेश कर सकता है स्वास्थ्य विभाग।