विश्व पशु दिवस: बेजुबानों के दर्द को बना लिया अपना
बेसहारा जानवर अपनी पीड़ा आदमी से नहीं बता पाते लेकिन संवेदनशील लोग इनकी आंखों को न सिर्फ पढ़ लेते हैं बल्कि उनकी बेहतरी के लिए काम भी कर रहे हैं। ऐसे युवाओं के जानवरों के प्रति समर्पण आपको भी प्रेरित कर सकता है..
अंकिता भारद्वाज, पटना। आदमी परेशान हो तो उसकी मदद के लिए तमाम स्वजन, समाज और संगठन आगे आ जाते हैं, लेकिन इसी समाज में कुछ लोग ऐसे हैं जिनसे बेजुबान जानवरों का दर्द भी नहीं देखा जाता। राजधानी के कुछ युवा ऐसे हैं जिन्होंने बेजुबान जानवरों की मदद को अपना मिशन बना लिया है। विश्व पशु दिवस पर एक रिपोर्ट..
बीमार कुत्ते को देखकर चुना एक नया रास्ता :
सात साल पहले की एक रात थी। एक कुत्ता लगातार रोये जा रहा था। बोरिग रोड की रहने वाली ऋतु कपूर को यह बर्दाश्त नहीं हुआ तो वे घर से बाहर निकलकर कुत्ते को ढूंढने लगीं। सड़क पर कुछ दूर पड़े कुत्ते तक पहुंचीं तो देखा कि उसके सिर में कीड़े लग गए हैं। उन्होंने कुत्ते को डॉक्टर के पास ले जाकर इलाज कराया। तब से उन्होंने बेजुबान जानवरों की चिंता को अपनी रूटीन में ही शामिल कर लिया। ऋतु के पति जानवरों से काफी प्यार करते हैं। शादी के बाद पति का शौक उनमें भी आ गया। अब ये दंपती मिलकर रोजाना आसपास के दर्जनों कुत्तों और अन्य जानवरों को भोजन देते हैं। जरूरत होने पर उनका इलाज कराते हैं।
जानवरों के हक के लिए लड़ती है निधि :
नाला रोड की निधि पिछले चार सालों से जानवरों के हक के लिए लड़ रही हैं। उनके सामने अगर कोई जानवरों को परेशान करता है तो ठहरकर ऐसा करने से रोकती हैं। जानवरों के अधिकारों के बारे में लोगों को जागरूक करती हैं। वे अपने आसपास घूमने वाली गाय, बैल, कुत्ता, बिल्ली जैसे जानवरों की बेहतरी के लिए काम कर रही हैं।
घर के नीचे ही बना दिया शेल्टर होम : नाला रोड के मोहित को बचपन से ही जानवरों से प्यार रहा है। कोई भी जानवर उन्हें बीमार दिखता है तो उसे पशु चिकित्सक के पास ले जाते हैं। जानवरों की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उन्होंने एक स्वयंसेवी संस्था के साथ काम शुरू कर दिया है। उन्होंने अपने घर के बेसमेंट में ही जानवरों के लिए शेल्टर होम बना रखा है। इस तरह हुई 'विश्व पशु दिवस' की शुरुआत
प्राकृतिक संतुलन के लिए जैव विविधता जरूरी है। जैव विविधता के लिए सभी जानवरों के मौलिक अधिकारों की रक्षा जरूरी है। इसी मकसद से हर साल चार अक्टूबर को 'विश्व पशु दिवस' मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1931 में इटली के फ्लोरेंस शहर से हुई।