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फिल्‍म 'हाथी मेरे साथी' की याद दिलाते पटना के ये करोड़पति गजराज, कहानी जान कर भर आएंगी आंखें

यह पटना के दो करोड़पति हाथियों की कहानी है। पटना के अख्‍तर इमाम ने इन्‍हें बड़े लाड़ से संतान की तरह पाला है। अपनी पांच करोड़ की संपत्ति भी उनके नाम कर दी है। लेकिन इस कहानी के पीछे जो दर्द छिपा है उसे जानकर आपकी आखें नम हो जाएंगी।

By Amit AlokEdited By: Published: Mon, 15 Mar 2021 11:43 AM (IST)Updated: Tue, 16 Mar 2021 11:39 AM (IST)
फिल्‍म 'हाथी मेरे साथी' की याद दिलाते पटना के ये करोड़पति गजराज, कहानी जान कर भर आएंगी आंखें
पटना के करोड़पति गजराजों की प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर।

पटना, बिहार ऑनलाइन डेस्‍क। यह कहानी गुजरे जमाने की राजेश खन्‍ना (Rajesh Khanna) स्‍टारर फिल्‍म 'हाथी मेरे साथी' (Hathi Mere Saathi) की याद दिलाती है। हां, यहां राजेश खन्‍ना नहीं,बल्कि हाथी काका (Hathi Kaka) के नाम से मशहूर अख्‍तर इमाम हैं। पटना के दानापुर स्थित जानीपुर के रहने वाले इस बुजुर्ग ने अपनी करोड़ों की संपत्ति अपने दो गजराज के नाम कर दी है। अख्‍तर इमाम को अपनी औलाद से ज्‍यादा हाथियों पर यकीन है। आखिर औलाद ने जो दुख दिया है, वह ताउम्र याद रहेगा।

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हाथियों ने बचाई थी जान, उनके साथ ही कटती जिंदगी

अख्तर के पास दो हाथी 'रानी' और 'मोती' हैं। उनकी जिंदगी इन दाेनों के साथ ही कटती है। ये हाथी भी अख्‍तर की भावनाओं तक को समझ जाते हैं। इन हाथियों ने उनकी जान भी बचाई है। अख्तर बताते हैं कि एक रात दो अपराधी उनके घर में हत्‍या की नीयत से घुस गए थे। तब इन हाथियों ने शोर मचाकर पड़ासियों को जगा दिया। हाथियों के शोर व पड़ासियों की आहट के कारण अपराधी भाग गए। इस घटना के बाद अख्‍तर ने अपना जीवन इन हाथियों के नाम कर दिया है।

इकलौत बेटे को संपत्ति से बेदखल कर हाथियों को दिया

अपने बेटे से आहत अख्‍तर इन हाथियों को संतान की तरह प्‍यार करते हैं। बताते हैं कि उनके इकलौते बेटे ने उन्‍हें झूठे मुकदमे में फंसाया तथा हत्‍या की भी कोशिश की। इसके बाद उन्‍होंने अपने बेटे को संपत्ति व घर से बेदखल कर उसे हाथियों के नाम कर दिया है। संपत्ति का आधा हिस्‍सा पत्‍नी तो शेष पांच करोड़ का आधा हिस्‍सा दोनों हाथियों के नाम कर अख्‍तर संतुष्‍ट हैं। बताते हैं कि उनकी मौत के बाद उनके मकान व खेत-खलिहान तथा बचत के रुपयेख्‍ सब हाथियों के होंगे। हाथियों के बाद यह संपत्ति 'ऐरावत' संस्था को मिलेगी, जिसके अख्तर संरक्षक भी हैं।

अब हाथी ही साथी, हाथियों के लिए ही समर्पित जीवन

संपत्ति के इस बंटवारे के नौ महीने से अधिक गुजर चुके हैं। बेटे को संपत्ति से बेदखल करने का उन्‍हें कोई अफसोस नहीं है। अख्तर अपने जीवन को अब इन हाथियों के लिए ही समर्पित बताते हैं। कहते हैं, 'हाथी ही साथी हैं।'


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