Kargil Vijay Diwas: बिहार के जांबाजों ने भी छुड़ाए थे पाकिस्तान के छक्के, अमर रहेगा इनका बलिदान Patna News
Kargil Vijay Diwasऑपरेशन विजय के तहत 60 दिनों तक चली जंग में बिहार रेजिमेंट के सैनिकों ने भी दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे। आज इस खबर से याद करते हैं वो दिन।
पटना [जितेंद्र कुमार]। कारगिल क्षेत्र को पाकिस्तानी घुसपैठ से मुक्त कराने के लिए ऑपरेशन विजय के तहत 60 दिनों तक चली जंग में बिहार रेजिमेंट के सैनिकों ने भी दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे। आज से ठीक 20 साल पहले 26 जुलाई को कारगिल फतह कर सैनिकों ने तिरंगा लहराया था। कारगिल विजय दिवस की 20वीं सालगिरह पर बिहार रेजिमेंट के हर सैनिक और सैन्य अधिकारियों को गर्व की अनुभूति हो रही। इस युद्ध में बिहार में पले-बढ़े 18 वीर जवानों ने सर्वोच्च बलिदान देकर कारगिल युद्ध में विजय दिलाई थी।
कश्मीर में तैनात थी बिहार रेजिमेंट की बटालियन
मई 1999 में पाकिस्तानी सैनिकों ने जम्मू-कश्मीर के कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ कर ली थी। उन दिनों बिहार रेजिमेंट की पहली बटालियन कश्मीर में तैनात थी। कारगिल के बटालिक सेक्टर में मोर्चे पर तैनात पहली बटालियन सामान्य दिनों की तरह 28 मई 1999 को पेट्रोलिंग पर निकली थी। मेजर एम. सर्वाणन अपनी सैन्य टुकड़ी के साथ बटालिक सेक्टर में पाकिस्तानी सैनिकों के कब्जे वाले पोस्ट की ओर निकले थे। करीब 14,229 फीट की ऊंचाई पर पाकिस्तानी सेना ने फायङ्क्षरग शुरू कर दिया। दुश्मनों की फायङ्क्षरग इतनी तेज थी कि भारतीय सैनिकों का यह समझते देर नहीं लगी कि पाक सेना भारी गोला-बारूद के साथ घुसपैठ कर चुकी है।
और बरसाते रहे गोलियां
बिहार रेजिमेंट के जांबाज मेजर एम. सर्वाणन के पास वक्त नहीं था कि सेना मुख्यालय से मदद का इंतजार कर सके। दुश्मन सामने से गोली बरसा रहे थे। मेजर सर्वानन ने अपने कंधे पर 90 एमएम राकेट लॉन्चर उठाया और दुश्मनों के ठिकाने पर निशाना साध फायरिंग शुरू कर दी। मेजर सर्वानन के हमले में पाकिस्तान के दो घुसपैठिए सैनिक ढेर हो गए। कारगिल युद्ध की यहीं से शुरुआत हुई थी। दुश्मनों से लड़ते हुए पहला बलिदान मेजर एम. सर्वाणन ने दिया था। इनके साथ बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के सिपाही प्रमोद कुमार, पटना के नायक गणेश प्रसाद यादव व सिपाही ओमप्रकाश गुप्ता जैसे जांबाज अग्रिम पंक्ति में रहकर अपना नाम अमर कर गए। बिहार के 18 वीर सपूतों के बलिदान से 26 जुलाई 1999 को भारतीय सेना ने टाइगर हिल पर तिरंगा फहराया था।
कारगिल युद्ध में देश के करीब 448 सैनिक शहीद हुए थे। शहीद मेजर एम. सर्वानन और नायक गणेश प्रसाद यादव को वीर चक्र (मरणोपरांत) मिला। इस टुकड़ी में नायक शत्रुघ्न सिंह भी थे, जिनके पैर में दो और कमर में एक गोली लगी थी। नायक शत्रुघ्न सिंह को छोड़कर सभी सैनिकों का शव मिल गया था। दुश्मनों की गोली से जख्मी शत्रुघ्न 11 दिनों तक रेंगकर तीन किमी. पीछे अपने पोस्ट पर लौटे। इन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति ने वीर चक्र से सम्मानित किया था। इस टुकड़ी में दिलीप सिंह नाम के एक और जांबाज बिहारी शामिल थे। समस्तीपुर के रहने वाले नायक दिलीप सिंह 28 दिनों तक जुब्बार पोस्ट पर जंग लड़ते दुश्मनों की गोली के शिकार हो गए। इस लड़ाई के लिए उन्हें सूबेदार में प्रोन्नति मिली थी। कारगिल युद्ध विजय में बिहार रेजिमेंट के वीर सैनिकों का बलिदान स्वर्णाक्षरों में अंकित हो गया है।
कारगिल युद्ध के शहीद बिहारी
1. नायक गणेश प्रसाद यादव - पटना
2. सिपाही अरविंद कुमार पांडेय - मुजफ्फरपुर
3. सिपाही अरविंद पांडेय- पूर्वी चंपारण
4. सिपाही शिवशंकर प्रसाद गुप्ता - औरंगाबाद
5. लांस नायक विद्यानंद सिंह - भोजपुर
6. सिपाही हरदेव प्रसाद सिंह - नालंदा
7. नायक बिशुनी राय - सारण
8. नायक सूबे. नागेश्वर महतो - रांची
9. सिपाही रम्बू सिंह - सिवान
10. गनर युगंबर दीक्षित - पलामू
11. मेजर चंद्रभूषण द्विवेदी - शिवहर
12. हवलदार रतन कुमार सिंह - भागलपुर
13. सिपाही रमण कुमार झा - सहरसा
14. सिपाही हरिकृष्ण राम - सिवान
15. गनर प्रभाकर कुमार सिंह - भागलपुर
16. नायक सुनील कुमार सिंह - मुजफ्फरपुर
17. नायक नीरज कुमार - लखीसराय
18. लांस नायक रामवचन राय - वैशाली
कर्नल ओपी यादव का नेतृत्व
कारगिल युद्ध के समय बिहार रेजिमेंट की पहली बटालियन के कमांडर तत्कालीन कर्नल ओपी यादव थे। इस युद्ध विजय के बाद वह ब्रिगेडियर बनाए गए। कारगिल युद्ध की 20वीं सालगिरह पर ब्रिगेडियर ओपी यादव दानापुर छावनी में आमंत्रित किए गए हैं। वह सैनिकों और सैन्य अधिकारियों के साथ अपना युद्ध अनुभव साझा करेंगे। देशभर से उन सैनिकों को आमंत्रित किया गया है, जो कारगिल युद्ध में शामिल थे।
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