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गौरव की अनुभूति कराता है हिंदी साहित्य सम्मेलन का अतीत

बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन स्वतंत्रता आंदोलन का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2020 08:47 PM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2020 08:47 PM (IST)
गौरव की अनुभूति कराता है हिंदी साहित्य सम्मेलन का अतीत
गौरव की अनुभूति कराता है हिंदी साहित्य सम्मेलन का अतीत

पटना। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन स्वतंत्रता आंदोलन का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। संस्था से जुड़े साहित्यकारों ने हिंदी को आगे बढ़ाने के साथ ही देश की आजादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर भूमिका निभाई। मैं यहां जब भी आता हूं, गौरव की अनुभूति होती है। यहां के सभागार और परिसर में जब मनीषियों के चित्र देखता हूं, तो मन श्रद्धा से पूरित हो जाता है। हम सबको मिल कर यह प्रयास कराना चाहिए कि हिंदी विज्ञान और तकनीक की भाषा बने, देश की राष्ट्रभाषा बने। उक्त बातें पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश संजय कुमार ने कहीं। मौका था सोमवार को कमदकुआं स्थित बिहार हिदी साहित्य सम्मेलन के 101वें स्थापना दिवस पर आयोजित सम्मान समारोह का।

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इस मौके पर एक प्रस्ताव पारित कर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से हिदी को राष्ट्रभाषा और उसकी लिपि देवनागरी किये जाने की मांग की। प्रस्ताव पर प्रतिभागियों ने अपना हस्ताक्षर किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता बिहार हिदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने की। इस मौके पर हिंदी भाषा और साहित्य के उन्नयन में मूल्यवान अवदान देने वाली विदुषियों और मनीषी विद्वानों को, बिहार की साहित्यिक विभूतियों के नाम से नामित अलंकरण प्रदान कर सम्मानित किया गया। न्यायमूíत संजय कुमार ने वंदन-वस्त्र, स्मृति-चिह्न और प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित किया। पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूíत राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि हिंदी इस देश की सर्वमान्य राष्ट्र भाषा है। सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने साहित्यकारों और हिंदी प्रेमियों को स्थापना दिवस की बधाई दी।

राधायण नृत्य-नाटिका की रंगारंग प्रस्तुति : इस मौके पर पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. एसएपी सिन्हा, दूरदर्शन केंद्र, पटना के मुख्य कार्यक्रम अधिकारी डॉ. राज कुमार नाहर, सरदार महेंदरपाल सिंह ढिल्लन, प्रो. जंग बहादुर पाडेय, चेन्नई से पधारे वरिष्ठ कवि डॉ. ईश्वर करुण आदि ने भी अपने विचार रखे। मंच संचालन सम्मेलन के उपाध्यक्ष डॉ. शकर प्रसाद तथा साहित्य मंत्री डॉ. भूपेंद्र कलसी ने किया। सम्मेलन की उपाध्यक्ष डॉ. कल्याणी कुसुम सिंह, डॉ. वासुकीनाथ झा, कृष्णरंजन सिंह और डॉ. शालिनी पांडेय ने अतिथियों का स्वागत किया। धन्यवाद ज्ञापन कवि योगेंद्र प्रसाद मिश्र ने किया। कार्यक्रम का सामापन सम्मेलन के कला विभाग की ओर से कलामंत्री डॉ. पल्लवी विश्वास के निर्देशन में प्रस्तुत राधायण नृत्य-नाटिका की रंगारंग प्रस्तुति के साथ हुआ। डॉ. मिथिलेश मधुकर, डॉ. मनोज कुमार, अलख निरंजन प्रसाद सिन्हा, डॉ. संजय कुमार सिंह, रामेश्वर द्विवेदी, महेश कुमार बजाज, रमेश चंद्र, अनिता मिश्रा समेत कई लोगों को सम्मानित किया गया।


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