पटना से शुरू हुआ था मदर टेरेसा का संत बनने का सफर, आज भी जिंदा हैं स्मृतियां
मदर टेरेसा को रविवार को 'संत' की उपाधि दी गई। कम लोग ही जानते हैं कि मानवता की सेवा के उनके मिशन का आरंभ पटना से तब आरंभ हुआ था, जब उन्होंने यहां नर्सिंग का प्रशिक्षण लिया
पटना [वेब डेस्क]। मदर टेरेसा आज 'संत' बन गईं। अब तक उन्हें पॉप जान पाल द्वितीय से मिली 'मदर' पदवी के लिए जाना जाता था। अब वे संत टेरेसा होंगी। मदर टेरेसा को आत पूरी दुनिया जानती है, लेकिन कम लोग ही जानते हैं कि पीडि़त मानवता की सेवा व त्याग का उनका सफर बिहार की राजधानी पटना से शुरू हुआ था। पटना की 245 साल पुरानी 'पादरी की हवेली' में उनकी स्मृतियां आज भी जिंदा हैं।
मदर टेरेसा ने पटना के होली फैमिली अस्पताल में नर्सिंग का प्रशिक्षण लिया था। तब यह अस्पताल पादरी की हवेली में स्थित था। चर्च के लोगों ने बताया कि वे वहां 1948 में 17 अगस्त से लेकर तीन माह रहीं थीं।
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मदर टेरेसा ने जिस कमरे में रह कर प्रशिक्षण लिया था, उसमें उनकी स्मृतियां संरक्षित रखी गई हैं।
मिशनरी ऑफ चैरिटी की स्थापना
पादरी की हवेली में संचालित अस्पताल को बाद में कुर्जी में स्थानांतरित कर उसे आधुनिक व बड़ा रूप दिया गया। यह अस्पताल आज भी कुर्जी होली फैमिली अस्पताल के नाम से चल रहा है। अस्पताल के स्थानांतरण के बाद मदर टेरेसा ने 1963 में पादरी की हवेली में मिशनरी ऑफ चैरिटी की स्थापना कर अनाथों की मां बन गईं।
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मिशनरी की इंचार्ज सिस्टर क्लिंटन ने बताया कि पादरी की हवेली में अभी 28 अनाथ बच्चों की सेवा जा रही है। यहां मदर टेरेसा का यहां आना-जाना लगा रहता था।