स्वर्गलोक की सत्ता पाने का सपना रह जाता है अधूरा
व्यंग्य रचनाकार शंकर पुणताबेकर की व्यंग्य रचना पर आधारित नाटक ने दर्शकों को लोट-पोट किया
पटना। व्यंग्य रचनाकार शंकर पुणताबेकर की व्यंग्य रचना पर आधारित नाटक ने दर्शकों को लोट-पोट करने के साथ राजनीति के स्याह-सच को बयां किया। सत्ता की लोलुपता, राजनीतिज्ञों के बीच जोड़-तोड़ के साथ टिकट पाने की होड़ और विभिन्न प्रकार के हथकंडे अपनाते नेताओं की पोल मंच पर कलाकारों ने खोली। बिहार आर्ट थियेटर की ओर से वरिष्ठ रंगकर्मी अनिल कुमार मुखर्जी की 104वीं जयंती एवं 29वें पटना नाट्योत्यव के समापन पर बैट पटना की ओर से शंकर पुणताबेकर द्वारा रचित एवं उपेंद्र कुमार निर्देशित 'एक मंत्री स्वर्ग लोक में' का मंचन कालिदास रंगालय में सोमवार को किया गया।
कलाकारों ने अपने अभिनय के दौरान व्यंग्य से भरे संवाद के जरिए राजनीति के बदलते स्वरूप को बयां कर दर्शकों का पूरा मनोरंजन कराया। नेताओं की टोली चुनाव के दिनों में टिकट पाने की जुगत, चुनाव जीतने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना कर सत्ता पर आसीन हो जाती है। वे इन्हीं उपायों का प्रयोग स्वर्गलोक पहुंचने के बाद भी करते हैं। इसे देखकर सभी देवता और यम चिंतित हो जाते हैं। यमलोक पहुंचने के बाद सारी राजनीतिक पार्टियों से जुड़े नेताओं की टोली वहां भी कुर्सी पाने के लिए आपस में लड़ाई-झगड़ा करती है। सभी पार्टियां अपना दमखम दिखाने के साथ ही यमलोक और देवता लोक की कुर्सी पाने के लिए संघर्ष करती हैं। इससे स्वर्ग और यम लोक में भी उथल-पुथल मच जाती है। इन सारे दृश्यों को देख यम क्रोधित हो जाते हैं और अपने अनुचरों को आदेश देते हैं कि इन सारी मृत आत्माओं को पृथ्वी लोक भेज दो। कहीं ऐसा न हो कि देवताओं का राजपाट छीन जाए और फिर सारे नेता स्वर्ग लोक में अपना अस्तित्व जमाने के सपने लिए वापस पृथ्वी पर आ लौटते हैं। मंच पर श्रीकांत सिंह, कुमारी ज्योत्सना, अंजली कुमारी, सुभाष कुमार, शशि रंजन, हिमांशु कुमार, अभिनव कुमार, सुधांशु सौरभ, प्रिंस कुमार, सौरभ कुमार, शुभम कुमार आदि ने बेहतर प्रस्तुति दी।