बिहार में अपने स्लीपर सेल को जगाने की साजिश में हैं आतंकी संगठन
भले ही पटना और बोधगया में हुए आतंकी हमलों की एनआइए ने गुत्थी सुलझा ली हो और इसमें शामिल आतंकियों को सलाखों के पीछे ढकेला जा चुका हो, लेकिन बिहार में आतंकी संगठनों की सक्रियता अभी भी बरकरार है।
पटना। भले ही पटना और बोधगया में हुए आतंकी हमलों की एनआइए ने गुत्थी सुलझा ली हो और इसमें शामिल आतंकियों को सलाखों के पीछे ढकेला जा चुका हो, लेकिन बिहार में आतंकी संगठनों की सक्रियता अभी भी बरकरार है।
पिछले दिनों गुजरात के कच्छ के रण में आयोजित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ देश की आंतरिक सुरक्षा को लेकर देशभर के बड़े पुलिस अधिकारियों की बैठक में बिहार को आगाह किया गया है कि आतंकियों के स्लीपर सेल को एक बार फिर जगाने की आतंकी साजिश शुरू हो चुकी है।
दरअसल, कच्छ के रण में आंतरिक सुरक्षा को लेकर देश की शीर्ष खुफिया एजेंसियों के प्रमुखों ने आने वाले समय में आतंकवाद की नई चुनौतियों पर चर्चा की है। इस चर्चा में वर्ष 2013 में बिहार में हुए दो आतंकी हमलों और उसमें शामिल आतंकी संगठनों पर भी प्रकाश डाला गया।
साथ ही आगाह किया गया है कि आतंकी संगठनों के स्लीपर सेल को किसी भी कीमत पर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। क्योंकि दुनिया में आतंकवाद अब किसी कॉरपोरेट की तर्ज पर अपनी नई-नई शाखाएं स्थापित कर रहा है।
बिहार की भौगोलिक स्थिति भी कुछ ऐसी है, जिससे आतंकी संगठनों को यहां पनाह मिलने में परेशानी नहीं होती। खासकर पड़ोसी देश नेपाल और बंगलादेश से लगे सीमाई जिलों में।
खुफिया एजेंसियों ने बिहार से लगी नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर संचालित हो रहे मदरसों व मस्जिदों की गतिविधियों पर विशेष नजर रखने की ताकीद की है। खुफिया एजेंसियों ने इन मदरसों को मिलने वाले वित्तीय सहायता और उनके कामकाज के तरीके पर नजदीकी निगाह रखने की सलाह दी।
बता दें कि वर्ष 2013 में पटना के गांधी मैदान व रेलवे स्टेशन पर हुए सीरियल धमाकों तथा उसी साल जुलाई में बोधगया में हुए सीरियल ब्लास्ट की गुत्थी को एनआइए ने सुलझा लिया और इन धमाकों में शामिल सभी आतंकियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
उसके बाद एनआइए ने समस्तीपुर निवासी आतंकी सरगना तहसीन अख्तर उर्फ मोनू को पिछले साल पश्चिम बंगाल व नेपाल की सीमा से गिरफ्तार किया था। यह वही मोनू है जिसे इंडियन मुजाहिदीन सरगना यासिन भटकल ने अपनी गिरफ्तारी के बाद इंडियन मुजाहिदीन का नेतृत्व सौंपा था।
जबकि पटना व बोधगया धमाकों के बाद एनआइए ने हैदर अली उर्फ ब्लैक ब्यूटी की गिरफ्तारी के साथ बिहार व झारखंड में सक्रिय स्टूडेंट्स ऑफ इस्लामिक मूवमेंट इन इंडिया (सिमी) को नेस्तनाबूद कर दिया था।
अब इन दोनों संगठनों से जुड़े आतंक के स्लीपर सेल को आतंकी संगठन एक बार फिर एक्टिवेट करने की कोशिश में हैं। इसके लिए बिहारी युवकों को जिहाद में शामिल होने तथा धन का लोभ दिया जा रहा है।