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तेजस्वी ने CM नीतीश को लिखा खत, अब कितना अपमानित होंगे, इस्तीफा दे दीजिए

नीतीश कुमार के केंद्र सरकार से रिश्ते पर तेजस्वी यादव ने तंज कसा है और पत्र लिखकर सलाह दी है कि कुर्सी की खातिर कितना अपमान सहेंगे। अब तो इस्तीफा दे दीजिए।

By Kajal KumariEdited By: Published: Tue, 28 Jan 2020 03:00 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jan 2020 11:49 PM (IST)
तेजस्वी ने CM नीतीश को लिखा खत, अब कितना अपमानित होंगे, इस्तीफा दे दीजिए
तेजस्वी ने CM नीतीश को लिखा खत, अब कितना अपमानित होंगे, इस्तीफा दे दीजिए

पटना, जेएनएन। नेता प्रतिपक्ष सह बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने एक बार फिर से बिहार के सीएम नीतीश कुमार निशाना साधा है और उनसे इस्तीफा देने की मांग की है। उन्होंने नीतीश कुमार और केंद्र सरकार के रिश्तों का जिक्र करते हुए नीतीश कुमार की बेइज्जती किए जाने के सवाल पर चिटठी लिखी है और कहा है कि अब तो आपको इस्तीफा दे ही देना चाहिए।

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तेजस्वी ने नीतीश कुमार को चिट्ठी लिखकर कहा है कि कुर्सी ख़ातिर अपमानित होने और बिहार का नुक़सान करने से अच्छा है कि राजभवन जाकर आप अपना इस्तीफ़ा दे दीजिए। 

तेजस्वी ने चिट्ठी में लिखा है,'आदरणीय मुख्यमंत्री जी, 

जुलाई 2017 में जनादेश चोरी के बाद जब बिहार में अनैतिक सरकार बनी थी तब जनादेश अपमान की शर्मिंदगी दबाने और न्यायप्रिय लोकतांत्रिक लोगों को सांत्वना देने के लिए आप ज़ोर-शोर से कहते थे कि दशकों बाद केंद्र और बिहार में एक गठबंधन की सरकार बनी है। अब डबल इंजन सरकार में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा, विशेष पैकेज और केंद्रीय योजनाओं में प्राथमिकता मिलेगी। लेकिन मुख्यमंत्री जी क्या हुआ? बिहार को अब भी उसका वाजिब हक क्यों नहीं मिल रहा है? 

पटना में भरे मंच से आपके द्वारा बार-बार मिन्नतें करने के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने से इनकार कर दिया था। उसके एवज में प्रधानमंत्री ने जो विशेष आर्थिक सहायता पटना विश्वविद्यालय को देने का वादा किया था उसे आज तक पूरा नहीं किया है? क्या यही आपकी हैसियत है कि आप 100 वर्ष पुराने पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा तक नहीं दिला सकते?

प्रधानमंत्री को उनका बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का टेप और video क्यों नहीं दिखाते? जैसा आप 15 लाख सबके खाते में डालने वाला दिखाते थे? प्रधानमंत्री जी ने 2015 के विधानसभा चुनावों में बिहार के लिए 1 लाख 65 हज़ार करोड़ के गगनचुंबी प्रधानमंत्री विशेष पैकेज की घोषणा की थी। सूबे के मुखिया होने के नाते आप बताए कि उनमें से कितनी घोषणाएँ पूर्ण हुई और कितनी ऐसी परियोजनाएँ हैं जिनका अभी शिलान्यास भी नहीं हुआ है और पैकेज में से कितनी राशि राज्य सरकार को प्राप्त हुई है? 

मुख्यमंत्री जी, अपने मंत्रिमंडल में शामिल BJP के 11 मंत्रियों और ज्ञानी-ध्यानी उपमुख्यमंत्री को दिल्ली दौड़ाइए। अगर ये लोग आपके अपमान, बेबसी और लाचारी को देखकर भी अपनी पार्टी से बिहार को केंद्रीय मदद दिलाने में असफ़ल है तो इन्हें मंत्रिमंडल से तुरंत बर्खास्त करिए।

बिहार का अहित सोचने वाले ऐसे नाकारा मंत्रियों को हटाने में किस बात का डर? आपके चेहरे पर तो सरकारें बनती है ना? फिर अकेले चुनाव लड़ने में क्या डर? अगर आपने 15 वर्ष कथित विकास किया है तो लड़िए अकेले?

क्या आप जवाब दे सकते है कि विगत वर्ष बिहार में दो बार भीषण बाढ़ आयी लेकिन केंद्र से क्या मदद मिली? आपने केंद्र से कितने की मांग की और मिला कितना? बिहार से छोटे और तुलनात्मक रूप से बाढ़ से कम नुक़सान वाले दूसरे राज्यों को दी गई मदद बिहार से कई गुना अधिक है।

कर्नाटक को 3000 करोड़ तो एमपी को 1700 करोड़ मिले लेकिन बिहार की डबल इंजन वाली ट्रबल सरकार को मात्र 400 करोड़ ही दिए। क्या यह आपका अपमान है या बिहार का? अगर आपका अपमान है तो कृपया इसके चलते बिहार का नुक़सान ना करिए? शायद वो आपको ब्याज सहित जनादेश चोरी का लाभ चुकता कर रहे है।

याद कीजिए, 2008 में आदरणीय लालू जी ने संकीर्ण राजनीति से ऊपर उठते हुए नकारात्मकता से परिपूर्ण अवसरवादी बिहार सरकार को लोकहित राजनीति का पाठ पढ़ाते हुए कुछ ज़िलों तक सीमित कोसी त्रासदी के समय केंद्र से पर्याप्त सहायता बिहार को दिलाई थी।

यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान लालू जी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री सरदार मनमोहन सिंह और यूपीए अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी जी के सहयोग से बिहार के विकास कार्यों के लिए 1 लाख 44 करोड़ की सहायता राशि दिलवाई थी। लेकिन अभी डबल इंजन की सरकार में बिहार को क्या मिला? 

मोदी सरकार ने आपको इतना कमज़ोर और मजबूर कर दिया है कि आप ख़ुशी-ख़ुशी आर्टिकल 370, तीन तलाक़, सीएए, एनआरसी और एनपीआर का समर्थन कर रहे है और साथ ही साथ बिहार का वित्तीय नुक़सान भी झेल रहे है। अच्छा हुआ देश की आवाम ने इस बहाने आपकी सिद्धांतहीन कुर्सीवादी राजनीति और वर्षों से छद्म धर्मनिरपेक्ष होने के प्रपंच को पहचान लिया है।

माननीय मुख्यमंत्री जी, कुर्सी ख़ातिर अपमानित होने और बिहार का नुक़सान करने से अच्छा है राजभवन जाकर आप इस्तीफ़ा दे दीजिए'।


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